नेहरू से मनमोहन तक कॉग्रेस के 70 सालाना राज में किसी ने भी पंचवर्षीय योजना से आगे सोचने का मन तक नहीं बनाया इसके उलट मात्र सात बरस की सत्ता में मोदी ने ताजा बजट में अगले 25 बरस(Budget 2022 Plan for 25 years) के लिए खाका तैयार कर दिया। मजे की बात यह हे कि इस पुरे खाके में कंही भी इस बात का जिक्र तक नहीं है की पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के लिए धन कंहा से आएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई योजना को सात इंजन की कल्पना के तौर पर प्रस्तुत करने के साथ ही जल, आवागमन, अधोसंरचना, ऊर्जा, महिलाए, बच्चे और स्वास्थ्य पर ख़ास ध्यान देने और इनके विकास की बात आने वाले 25 बरस(Budget 2022 Plan for 25 years) के लिए की है। इन योजनाओ पर काम करने के लिए धन राशि की जुगाड़ के लिए फिर से पीपीपी मॉडल पर निर्भर होना पड़ेगा या विभिन्न शासकीय उपक्रमों सरकार को अपनी हिस्सेदारी कम या ख़त्म करना होगी।
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मोदी सरकार का यह बजट डरी हुई सरकार का नजर आता है जिसमे किसी भी तरह का कोई जोखिम उठाने की हिमाकत नहीं की गई है। दिल्ली की सरकार का रास्ता वैसे भी उत्तरप्रदेश से होकर गुजरता है और ऐसे में किसान आंदोलन के बाद हो रहे राज्य के इन चुनाव के नतीजे पहली मर्तबा मोदी सरकार के लिए तनाव का सबब बने हुए है। ऐसे में मोदी और उनके वो सहयोगी जो पूरी तरह से उनके भरोसे हे कोई जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है।
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मोदी सरकार के वर्तमान बजट से यह भी साफ़ हो गया कि किसी प्रभावी आंदोलन जिसमे की राजनितिक महत्वाकांक्षा कम हो से सरकार को परेशान किया जा सकता है। किसान आंदोलन ने यही काम किया और सरकार को विवश होकर सहकारिता के साथ कारपोरेट टेक्स तक पर झुकाव दिखाना पड़ा है।
जीएसटी के दौर में सामान्य उपभोक्ता हितों पर प्रत्यक्ष किसी राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती है लेकिन जिस तरह से मध्यमवर्गीय बिरादरी को आयकर जैसे मामले में कोई राहत नहीं दी गई वह साफ़ दर्शाता हे की यह वही बिरादरी हे जो चुपचाप मोदी युग को पूरी तरह से अपनाने को बाध्य है। इस बिरादरी के सामने सोशल मीडिया के मार्फत खड़े किए जा रहे प्रपंच से किसी भी बुराई में सर हिलवाया जा सकता हे और वही इस बजट में भी होता दिख रहा है।
आलोक ठक्कर