इंदौर के विकास में भ्रांतियां समस्याएं रुकावट और समाधान

Share on:

अतुल शेठ

आज इंदौर के अंदर विकास के बहुत सारे काम हो रहे हैं।जिसमें स्मार्ट सिटी और मास्टर प्लान के नाम पर बहुत से काम हो रहे हैं। इसके अंतर्गत आमतौर पर देखने में आ रहा है की सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है या नयी सड़कें बनाई जा रही है। इंदौर के चारों ओर और मध्य क्षेत्र में भी,जहां स्मार्ट सिटी का एरिया है वहां भी।इन सब में,इंदौर के अंदर मास्टर प्लान की जो चौड़ाई लिखी हुई है उस चौड़ाई की सड़क बनाने का एक का अभियान चल पड़ा है।जो कि बहुत ही गलत है।इस को तत्काल रोकना चाहिए।इसके कारण निम्नानुसार है:- आज इंदौर की जनसंख्या अधिकतम 30 लाख के आसपास है ।और मास्टर प्लान में जो सड़कें बनाई गई है,जो लिखी गई है,वो मेरे हिसाब से 1 करोड के हिसाब से है।

उसके अंदर उसका एलाइनमेंट और अधिकतम चौड़ाई लिखी हुई है। पूरा खेल जो हो रहा है वह अधिकतम चौड़ाई को लेकर हो रहा है। हमें यह सोचना होगा कि अधिकतम चौड़ाई,कब लिखी गई हे ओर कबके लिए लिखी गई है। मुझे ऐसा लगता है कि,इंदौर शहर की कल्पना बड़े महानगरों की तरह मुंबई दिल्ली की तरह विकास होगा आज से 50 साल बाद 100 साल बाद जब इंदौर की जनसंख्या एक करोड़ या उससे ऊपर होगी उसके अनुसार नीति नियंता ओं के अनुभव के अनुसार मुंबई दिल्ली में देखते हैं कि 100/150 /200/250 फीट की सड़क उसको देखते हुए प्रावधान करा है ।  आज इंदौर की जनसंख्या मात्र 30,00,000/-है । तो क्या हमें इतनी चौड़ी सड़क की आवश्यकता आज है   भारतीय रोड कांग्रेस में जनसंख्या के हिसाब से नही कहा हे?  मगर रोड पर आने वाले ट्रैफिक की संख्या पर रोड की चौड़ाई का निर्धारण किया है ।

रोड चौड़ीकरण के अंदर हमने अधिकतम अगले 25 साल या जो हमारा मास्टर प्लान हो या जो बनने वाला हो,उसके हिसाब से वर्तमान में रोड बनाना चाहिए। बाकी जो अधिकतम उसकी चौड़ाई लिखी है, उसके हिसाब से नया निर्माण उस जगह पर ना हो इसकी चिंता संबंधित विभाग ने करना चाहिए।  एक उदाहरण के रूप में आज बड़ा गणपति से लेकर राजवाडा तक 80 फीट चौड़ी सड़क बनाने का काम हाथ में लिया हमने। आज क्या ट्रैफिक है ?आज कितने पब्लिक केयर यूनिट जो उसकी इकाई है उसके अनुरूप इस पर यातायात है। ओर क्या होगी,उसके आगे ?उनके अनुसार उस रोड की चौड़ाई रखें ।  समस्या,व्यवस्था की है, समस्या पार्किंग की है ,समस्या हमारे जो दूसरे हीत हे, जिसमें पैसा बहुत महत्वपूर्ण है,उसकी है।

हम सामान्य भाषा में कह सकते हैं कि माथा दुखना और पेट पकड़ना ।तो इससे हल नहीं होगा ।  आज re2 की बात हो रही है कि।वह अधिकतम चौड़ाई से बनाने की बात हो रही है।वहां ट्रैफिक की घनत्व का कोई आकलन है क्या? शुरुआत में उसे मास्टर प्लान के अलाइमेन्ट से केवल 2 लेन सड़क 6 से 7 मीटर की एक ओर बनाना चाहिए ।जिसमें दोनों और डेढ़ मीटर के पक्के सोल्डर हो। तो काम अगले 25 साल चल जाएगा। अधिकतम चौड़ाई की सड़क बनाने का दुष्परिणाम यह होता है कि यहां बहुत ज्यादा रुपया लगता है । जहां 1 लगना होता है वहां 10 लग जाते हैं । और ये 10 आम जनता केगाढ़ी कमाई के होते हैं ।जिनको हित साधना होता है इन पैसों से वह हो जाता हैं। जनता बहुत लंबे समय तक इसके बोझ के तले दबी रहेगी। जो काम रुपए में हो सकता है उसके लिए 10 खर्च करना क्या? यह भी हमें विचार करना होगा ।

और मुझे ऐसा लगता है कि इन समग्र बातों को ध्यान रखते हुए की,इन सब का भार आम जनता पर आने वाला है।जो आम जनता को बेटरमेंट टैक्स के रूप में देना होगा ,संपत्ति कर के अंदर अच्छे विकास के लिए अलग से टैक्स देना होगा इसे कई नए टैक्स लगने वाले हैं ।आम जनता को इस से कितना फायदा होगा? यह भी एक विचारनीय बिन्दु है और शोध का विषय है। आम जनता के लिए जो आवश्यक कार्य है,जैसे कि यातायात का प्रबंध करना, पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करना,उसके लिए जो भी दंडात्मक करवाई करना हो वह की जावे।लगातार ट्रैफिक के सुधार के लिए जो भी इंजीनियरिंग पॉइंट के विचारों से जरूरी हो,उस इंजीनियरिंग को लागू किया जाए। यह सब काम बहुत कम पैसों में होने वाले हैं।

इसके बदले में बहुत सारा पैसा खर्च करना आम जनता को दुविधा में डालना और इन सब के भार को और असहनीय बनाना,मुझे लगता है कि गलत है।ओर इसके लिए इतिहास हमे जिम्मेदार मानेगा। इन सब के लिए मुझे लगता है कि आम जनता ने ,नगर के प्रतिनिधियों ने और तकनीकी विशेषज्ञ और प्रशासन ने बैठ के निर्णय करना चाहिए।कि हमें आवश्यकता क्या है ? और क्या निर्माण करना चाहिए ? जिससे की आम जनता पर कम से कम बोज आवे ,कम से कम कष्ट झेलना पड़े,और शहर सुंदर,सुव्यवस्थित जल्द से जल्द से जल्द बन सके। बियाबानी में और गणेशगंज में हम देखते हैं कि सड़क चौड़ीकरण शुरू हुए 4- 5 साल हो गए हैं और आज भी दोनों रोड अपनी बदसूरती शहर को बता रहे हैं । मुझे लगता है कि इन सब बातों को देखते हुए और विकास की समग्र अवधारणाओं को तत्काल पहचानने के लिए ,विचार मंथन की ,सोच की ,और एक नई पहल की आवश्यकता है।