इंदौर। कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में शासकीय भूमि के संरक्षण हेतु जिला प्रशासन द्वारा निरंतर रूप से अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में अपर कलेक्टर पवन जैन ने पट्टेदारों द्वारा जिले के ग्राम असरावदखुर्द स्थित शासकीय भूमि बिना सक्षम अनुमति के अन्य कृषकों को विक्रय करने पर कुल 2.024 हेक्टेयर भूमि शासकीय घोषित करने के आदेश जारी किए हैं।
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अपर कलेक्टर जैन ने बताया कि ग्राम असरावदखुर्द स्थित भूमि खसरा नंबर 37 वर्ष 1925-26 से 1974-75 तक शासकीय चारागाह मद में दर्ज रही है। उक्त भूमि वर्ष 1977 में 28 जून 1977 को पट्टेदारों को भरण पोषण के लिए पट्टे पर प्रदान की गई। जिसके तहत मोतीलाल पिता धन्नालाल (रकबा 0.506 हेक्टेयर ), मैनाबाई पति गणपत जाटव (रकबा 0.506 हेक्टेयर), मोतीराम पिता उदेराम जाटव (रकबा 0.506 हेक्टेयर ) एवं सुन्दरलाल पिता लक्ष्मण जाटव ( रकबा 0.506 हेक्टेयर ) को उक्त भूमि के पट्टे प्रदान किए गए। पट्टेदारों द्वारा उक्त शासकीय भूमि बिना सक्षम अनुमति के अन्य कृषकों को विक्रय कर दी गई। जबकि शासकीय भूमि को विक्रय करने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।
पट्टागृहिता द्वारा अनियमितता करने पर अपर कलेक्टर जैन द्वारा ग्राम असरावदखुर्द की कुल भूमि 2.024 हेक्टेयर (5.00 एकड) भूमि शासकीय घोषित कर शासन पक्ष में वैष्ठित की गई। उक्त भूमि का अनुमानित व्यावहारिक मूल्य 45 करोड़ रुपए है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि उक्त भूमि को मध्य प्रदेश शासन के नाम दर्ज कर कब्जा प्राप्त करने के निर्देश तहसीलदार को दिये गये हैं। जिला प्रशासन द्वारा इस तरह के प्रकरणों में कड़ाई से कार्यवाही की जा रही है। यह अभियान निरन्तर जारी रहेगा। शासकीय भूमि को मुक्त कराया जाकर अन्य जन उपयोगी कार्यों के लिए आरक्षित किया जायेगा। शासकीय भूमि के प्रतिरक्षण हेतु आगे भी इस तरह की कार्रवाई होती रहेगी।