आजादी के बाद कब हुआ था पहली बार कुंभ मेले का आयोजन? राष्ट्रपति, PM से लेकर हर कोई हुआ था शामिल

Srashti Bisen
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First Kumbh of Independent India : भारत की आजादी से पहले अंग्रेजी शासन कुंभ, अर्धकुंभ और माघ मेले का आयोजन करता था। आयोजन के प्रबंधन के लिए इंग्लैंड से अधिकारियों को बुलाया जाता था। हालांकि, आजादी के बाद कुंभ का आयोजन भारतीय प्रशासन के तहत हुआ और 1954 में आजाद भारत का पहला कुंभ आयोजित हुआ।

आजादी के बाद कब हुआ था पहली बार कुंभ मेले का आयोजन

आजाद भारत का पहला कुंभ 1954 में प्रयागराज में हुआ। इस आयोजन की तैयारियां महीनों पहले शुरू हुईं। इस मेले को ऐतिहासिक बनाने में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आजादी के बाद कब हुआ था पहली बार कुंभ मेले का आयोजन? राष्ट्रपति, PM से लेकर हर कोई हुआ था शामिल

मेले की तैयारियां और व्यवस्थाएं

1954 के कुंभ मेले में कई नई व्यवस्थाएं की गईं:

  • टीकाकरण अभियान: श्रद्धालुओं को संक्रमण और बीमारियों से बचाने के लिए व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया गया।
  • कीटनाशक का छिड़काव: 250 मन कीटनाशक का छिड़काव किया गया।
  • स्ट्रीट लाइट्स और लाउडस्पीकर: पहली बार मेले में 1,000 स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं और लाउडस्पीकर का उपयोग भी किया गया।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: अस्थाई तंबुओं में 7 अस्पताल बनाए गए और एंबुलेंस की व्यवस्था की गई।
  • सुरक्षा: प्रशासन ने संगम क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए।

आजादी के बाद कब हुआ था पहली बार कुंभ मेले का आयोजन? राष्ट्रपति, PM से लेकर हर कोई हुआ था शामिल

कुम्भ में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी हुए थे शामिल

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद: संगम में स्नान करने के लिए राष्ट्रपति प्रयागराज पहुंचे और किले में ठहरे। किले की छत से मेले का अवलोकन किया, जिसे अब “प्रेसीडेंट्स व्यू” के नाम से जाना जाता है।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू: मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने आए। उनकी उपस्थिति ने इस कुंभ को विशेष बना दिया।

हाथी हादसा और VIP पर रोक

  • हाथी हादसा: पंडित नेहरू की उपस्थिति के दिन एक हाथी नियंत्रण से बाहर हो गया, जिससे बड़ा हादसा हुआ।
  • हाथियों पर रोक: इस घटना के बाद मेले में हाथियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई।
  • वीआईपी आगमन पर प्रतिबंध: 1954 के कुंभ के हादसे के बाद पंडित नेहरू ने प्रमुख स्नान पर्वों पर वीआईपी के संगम क्षेत्र में जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया। यह नियम आज भी लागू है।

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कुंभ मेले का ऐतिहासिक महत्व

आजादी के बाद का पहला कुंभ न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि यह नई परंपराओं की नींव रखने वाला भी था। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षा, और आधुनिक तकनीक के उपयोग ने कुंभ को और भी व्यवस्थित और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित बना दिया।