इंदौर। पहले जब किसी लड़की या महिला को मिर्गी के दौरे पड़ते थे, तो मायके वाले ससुराल पक्ष से छुपाकर गोपनीय रूप से इलाज के लिए लाते थे. वहीं लड़किया भी इलाज के दौरान चलने वाली गोलियां छुपाकर खाती थी। आजकल यह बदल गया है, लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता आई है। अब लड़कियां खुद अपने पति, ससुराल और परिजन के साथ आती है, जो की एक अच्छी सकारात्मकता को प्रदर्शित करता है। यदि आप बीमारी को एक्सेप्ट कर लेंगे तभी उसका इलाज कर पाएंगे। यह बात डॉक्टर अर्चना वर्मा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही. वह शहर के प्रतिष्ठित एमवायएच अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है।
मिर्गी में काफी ट्रीटमेंट गैप है, गांव में 70 तो शहर में 30 प्रतिशत लोग नहीं कराते इलाज
उन्होंने बताया कि मिर्गी की जड़े हमारी समाज में काफी गहरी है, इसके कई मरीज है। हर कॉलोनी में लगभग 3 मरीज आपको आसानी से मिल जायेंगे, लोग इसके महंगे इलाज, भ्रांतियां, और अन्य टोटको की वजह से इसमें देरी कर देते हैं। जिस वजह से ट्रीटमेंट गैप होने से इसका इलाज नही हो पाता है, अगर आंकड़ों की बात करे तो शहर में 30 प्रतिशत लोग समाज में बदनामी के डर से इसे बताते नही है, और ना ही इलाज करवाते हैं, इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत लोग इसे जाहिर नहीं करते हैं।
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उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की है। इसके बाद एमडी मेडिसिन जीएमसी भोपाल और डीएनबी न्यूरोलॉजी चोइतराम हॉस्पिटल से पूरी की है। 2007 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ। लगभग 15 साल से वह एमवायएच में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
जूते प्याज सुंघाना भ्रांति है, मिर्गी के दौरान मरीज़ को सीधा लिटाए
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मिर्गी के दौरान मरीज़ को जूते, प्याज सुंघाना या चम्मच से मुंह खोलना एक भ्रांति है, दिमाग शरीर को कंट्रोल करता है, मिर्गी के झटको के दौरान इसमें तरंगे उठती हैं। वह धीरे धीरे पुरे दिमाग में फैल जाती है, जिससे झटके शुरू हो जाते हैं। तरंगे रुकने पर झटके रूक जाते हैं। मरीज को दौरे के दौरान करवट पर लिटाकर उसके कपड़े ढीले कर देना चाहिए।
झटकों के दौरान सीधे लेटने पर जबान का पलट कर स्वास नली में जाने की संभावना बढ़ जाती है। जिस तरह हम हाथ से बाल्टी में झाग बनाते है उसी तरह हमारी जबान मुंह में झाग पैदा करती है। घूमने के दौरान जब जबान में कट लग जाए तो खून निकलने से वह झाग गुलाबी हो जाते हैं। सामान्य मिर्गी में दो झटकों के बाद आदमी को 3 से 5 मिनट में होश आ जाता है, वहीं ज्यादा देर होने पर हॉस्पिटल ले जाना होता है।
अनियमित भोजन, नींद पुरी ना होना, तनाव से दिमाग की नसे ओवरएक्टिव होती है।
कोरोना के बाद से लोगों में तनाव काफी बढ़ गया है। ज्यादा कंप्यूटर के इस्तेमाल से सर दर्द, गर्दन दर्द और कमर दर्द के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं अनियमित भोजन, नींद पुरी ना होना, तनाव से दिमाग की नसे ओवरएक्टिव होती है। जिससे हार्मोन चेंजेस होते हैं और सिर दर्द शुरु हो जाता है। नींद की वजह से उत्पन्न सिर दर्द माइग्रेन का रूप ले लेता है।