मध्यप्रदेश में एक बार फिर तेज बारिश का दौर शुरू होने जा रहा है। बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब क्षेत्र (लो प्रेशर एरिया) के सक्रिय होने से 13 अगस्त से प्रदेश के कई जिलों में झमाझम बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि इससे पहले भी कई हिस्सों में वर्षा का असर देखने को मिलेगा। रविवार को हरदा, नर्मदापुरम और बैतूल में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। यह स्थिति टर्फ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन के सक्रिय रहने से बन रही है।
अगले पांच दिन बरसेंगे बादल
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, आने वाले 5 दिनों तक कई जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है। 13 और 14 अगस्त से वर्षा की गतिविधियां बहुत तेज हो जाएंगी। इसका मतलब है कि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में बारिश का सिलसिला लगातार जारी रहने वाला है। शनिवार को भी प्रदेश के कई इलाकों में पानी बरसा, जबकि भोपाल में दोपहर बाद हल्की बारिश हुई।
बारिश का मौजूदा आंकड़ा

इस वर्ष 1 जून से अब तक मध्यप्रदेश में औसतन 28.8 इंच बारिश दर्ज की गई है, जो पूरे सीजन की कुल औसत बारिश का लगभग 78% है। जून और जुलाई में मजबूत मानसूनी सिस्टम के चलते प्रदेश में सामान्य से 34% अधिक वर्षा हुई है। पूर्वी हिस्से जैसे जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में स्थिति बेहतर है, जबकि इंदौर और उज्जैन संभाग के कई जिलों में पानी की कमी सामने आई है।
जिलावार बारिश की स्थिति
ग्वालियर में अब तक 35 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है, जिससे यहां का कोटा पूरा हो गया है। जबलपुर और भोपाल की स्थिति भी संतोषजनक नजर आ रही है। वहीं, इंदौर संभाग के 8 में से 5 जिलों में 13 इंच से कम बारिश हुई है। अलीराजपुर और झाबुआ ऐसे जिले हैं, जहां 20 इंच से अधिक पानी गिर गया है।
अगस्त की शुरुआत में कम, आगे ज्यादा बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, 1 जून से 31 जुलाई के बीच प्रदेश में औसतन 28 इंच पानी गिरा, लेकिन अगस्त के पहले सात दिनों में केवल 0.8 इंच बारिश दर्ज की गई। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह से तेज वर्षा का सिलसिला शुरू होगा, जो महीने के अंत तक चलता रहेगा।
जुलाई में बने थे बाढ़ के हालात
जुलाई में पूर्वी हिस्से के कई जिलों में लगातार बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। खासतौर पर रायसेन में बेतवा नदी उफान पर रही, जिससे खेत, मंदिर और पुल डूब गए थे। कई डैम भी ओवरफ्लो हो गए थे। इस सीजन में सबसे ज्यादा पानी गुना में 45.8 इंच दर्ज किया गया है, जबकि इंदौर सबसे पीछे है जहां अब तक केवल 11 इंच पानी गिरा है।
बेहतर और कमजोर जिलों की सूची
विदिशा, जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, डिंडौरी, सागर, पन्ना, श्योपुर, सिंगरौली, सीधी, नर्मदापुरम और उमरिया जैसे जिलों में 30 इंच से अधिक बारिश दर्ज हुई है। वहीं, बुरहानपुर (11.1 इंच), बड़वानी (11.5 इंच), खरगोन (11.8 इंच) और खंडवा (12.8 इंच) में पानी का स्तर कम है।
औसत से ज्यादा बारिश का अनुमान
इस साल मानसून 16 जून को मध्यप्रदेश में दाखिल हुआ था। तब से अब तक औसतन 28.8 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य अवधि में यह 21.5 इंच होती है। यानी, अब तक 7.3 इंच अधिक पानी गिर चुका है। प्रदेश की औसत सामान्य बारिश करीब 37 इंच है।
भोपाल का बारिश रिकॉर्ड
भोपाल में अगस्त माह में मानसून आमतौर पर जमकर बरसता है। 2006 में राजधानी में अगस्त के महीने में 35 इंच बारिश का रिकॉर्ड बनाया था। 14 अगस्त 2006 को 24 घंटे में 12 इंच पानी गिरा था। 2015 और 2022 में भी अगस्त में 30 इंच से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई थी। औसतन, इस महीने भोपाल में 14 दिनों तक बारिश होती है और ज्यादातर दिन पानी गिर ही जाता है।