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व्यक्ति ठान ले तो सफलता कदमो में होगी, कष्ट ही भविष्य में सुख का संकेत होते हैं -मोटीवेशनल स्पीकर
विद्यार्थी जीवन मे सुख की चाहत सफल नही होने देगी। कष्ट ही भविष्य में सुख का संकेत होते हैं। हमेशा बड़ा सोचो बड़ा हासिल होगा। सपने वो नही होते जो
कोरोना से भी खतरनाक है मंहगाई
डॉ. वेदप्रताप वैदिक देश में कोरोना की महामारी घटी तो अब मंहगाई की महामारी से लोगों को जूझना पड़ रहा है। कोरोना घटा तो लोग घर की चारदीवारी से बाहर
निरा’आधार’ जिन्दगी का ग्रोथरेट
जयराम शुक्ल आज से कोई बारह-चौदह साल पहले जब यूपीए सरकार ने यूनिक आईडी की अवधारणा दी थी तब स्तंभकार व मैनेजमेंट गुरू रघुरामन ने इसकी बड़ी ही दिलचस्प सरल
लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन की मौत नहीं, ‘हत्या’ है..!
अजय बोकिल यूपी के लखीमपुर खीरी के पास तिकुनिया गांव में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों का केन्द्रीय मंत्री पुत्र की कार द्वारा बेहरमी से रौंदा
मौलिक भारत द्वारा लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए चुनाव सुधार हेतु महत्वपूर्ण सुझाव
माननीय महोदय, हम ‘मौलिक भारत’ संगठन के सदस्य हैं और चुनाव सुधार, सुशासन, पारदर्शिता एवं हिंदुस्तान के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों की जनता के प्रति जवाबदेही के लिए
टिकट और भाई के मंत्री पद का सौदा नहीं पटा
राजेश राठौर इंदौर : कमलनाथ से नाराज होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की तैयारी में थे अरुण यादव, लेकिन भाजपा ने उनको टिकट देने और भाई को मंत्री बनाने
किसान आंदोलन पर सियासी बवाल, योगी सरकार को महिला कांग्रेस करेगी चूड़ियां प्रेषित
भोपाल: एक वर्ष से अधिक समय से देश भर में चल रहे किसान आंदोलन की आवाज को दबाने के नाकाम प्रयास करने वाली मोदी – योगी सरकार के कुशशन में
आर्यन जैसे अमीरजादों की जिंदगी का ‘मोटिवेशन’ क्या है?
अजय बोकिल बाॅलीवुड के ‘बाद vशाह’ कहे जाने वाले फिल्म अभिनेता, व्यवसायी शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान को जिस तरह मुंबई की अदालत ने ड्रग्स लेने और रखने के
कौन है वे ट्रैफिक सूबेदार जिन्होंने शंकर लालवानी की गाड़ी का चालान काट दिया
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी की गाड़ी का चालान कट गया 15 सो रुपए जुर्माना लगा और मजे की बात यह है कि यह घटना भी इंदौर की नहीं बल्कि
कृषि व्यवस्था को मजबूत बनाना हमारा कर्म व धर्म होना चाहिए : नरेंद्र सिंह तोमर
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि हमारे देश में कृषि की प्रधानता है, हमारी अर्थव्यवस्था भी कृषि आधारित है, इसलिए
हिंदुस्तान में 90,000 से ज्यादा पीएचडी इंजीनियर की जरूरत
अब वक्त आ गया है, जब पूरा देश इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जोर शोर से लगा है। हमारे पास में तकनीकी ज्ञान की कमी कह ले,या मेन पावर की कमी कह
चीन को 12वीं बार सुदिरमन कप विश्व खिताब
धर्मेश यशलहा चीन ने जापान को 3-1से हराकर 12वीं बार सुदिरमन कप जीत लिया, फिनलैंड के वान्ता में हुई 17वीं विश्व सुदिरमन कप मि्श्रित टीम फाइनल्स बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल
जब दो मुसीबतों से कुछ इस तरह से निकले आईएएस अफसर
“सतसैय्या के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगें घाव करें गम्भीर “ प्रसिद्द कवि बिहारी के इस दोहे को भला किसने न सुना होगा , शायद इसलिए
नरेश भावनानी की फर्श से अर्श तक पहुंचने की दिलचस्प दास्तान
ब्रजेश जोशी मन्दसौर: यह कलम चलाते हुए आज मुझे बड़ा सुकून मिल रहा है । आज मैं एक ऐसे शख्स के बारे में लिख रहा हूं जिसने फर्श से अर्श
केरल में हिंदी : एक रिपोर्ट
डा. पुष्पेन्द्र दुबे उत्तर भारत में यह आम धारणा है कि दक्षिण भारत में हिंदी की उपेक्षा होती है। हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित न करने के लिए दक्षिण भारत जिम्मेदार
भाजपाइयों ने बनाई पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया की पुण्यतिथि
पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश वासी माधवराव सिंधिया जी की 20वीं पुण्यतिथि नगर के भाजपाइयों द्वारा भाजपा जिला उपाध्यक्ष अक्सय सक्सेना के निवास पर मनाई गई। भाजपा नेताओ ओर कार्यकर्ता गणों
एक अपराजेय योद्धा जिसे सिर्फ मौत ही मात दे पायी.!
देश में जब भी एक संजीदा और कर्तव्यनिष्ठ राजनेता की चर्चा चलेगी उसमें एक नाम होगा स्वर्गीय माधवराव सिंधिया का। (जन्म 10 मार्च 1945 को मुंबई में, निधन 30 सितंबर
भगत सिंह जयंती विशेष : मैं नास्तिक क्यों हूँ ?
यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार “ द पीपल “ में प्रकाशित हुआ । इस लेख
सिद्धू की बगावत में छिपी गहलोत-बघेल के लिए राहत की सांस…
अजय बोकिल पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस की कलह कथा के दूसरे अध्याय का फलितार्थ फिलहाल इतना है कि नवजोतसिंह सिद्धू प्रकरण के बाद कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
कौव्वे इसलिए हमारे पुरखे..!
जयराम शुक्ल पितरपख जाने को है कौव्वे कहीं हेरे नहीं मिल रहे। इन पंद्रह दिनों में हमारे पितर कौव्वे बनके आते थे। अपने हिस्से का भोग लगाते थे। कौव्वे पितर