साहित्य

पिता के लिए देवेंद्र बंसल की स्वरचित मौलिक रचना

पिता के लिए देवेंद्र बंसल की स्वरचित मौलिक रचना

By Shivani RathoreJune 20, 2021

देवेन्द्र बंसल, इन्दौर पिता ,ज़िन्दगी को ,मुस्कुरा कर जीता है , अपने लिए नही ,परिवार में ख़ुशियाँ ढूँढता है , तमस् में भी उजास की ,ख़ुशबू बिखेरता है, रात के

विश्वासघात

विश्वासघात

By Mohit DevkarJune 14, 2021

लिपटे पड़े है बड़े बड़े भुजंग चंदन लड़ रहा जीवन की जंग महकना महकाना गलत हो गया विषधर नही चुके दिखाने से रंग नेकी का सिला यहाँ बदी मिलता आस्तीनों

मशाल

मशाल

By Ayushi JainJune 13, 2021

धैर्यशील येवले कलम को चिराग बना कर अज्ञान का तमस फ़ना कर सोया है सदियों से वो जगा उसे शोला बना कर अहिंसक है या नपुंसक पूछ उससे मर्द बना

श्वान

श्वान

By Ayushi JainJune 9, 2021

धैर्यशील येवले आते जाते अपरिचितों पर भौक उठते थे गली के श्वान मैं डपट देता उन्हें चुप रहा करो बेवज़ह भौकते हो , श्वानों ने भौकना बंद कर दिया है

देख सुन कभी

देख सुन कभी

By Mohit DevkarJune 8, 2021

धैर्यशील येवले इंदौर बहती हवा को कभी सुना है नही सुना न अब सुनो वो गीत जीवन के गाती है । खिले हुए फूलों को कभी गौर से देखा है

पर्यावरण संरक्षण ही संजीवनी: डॉ. पुनीत द्विवेदी

पर्यावरण संरक्षण ही संजीवनी: डॉ. पुनीत द्विवेदी

By Shivani RathoreJune 4, 2021

विश्व पर्यावरण दिवस विशेष- – वृक्षों का संरक्षण जीवन के रक्षण हेतु नितांत आवश्यक। – नदियॉ जीवन-दायिनी हैं। नदियों को पुनर्जीवित करना प्रमुख कर्तव्य। – वायु प्रदूषण से प्राणवायु की

आओ एक पौधा हम भी लगाए

आओ एक पौधा हम भी लगाए

By Ayushi JainJune 4, 2021

देवेन्द्र बंसल आओ एक पौधा हम लगाए धरा के आँचल में सुखों की हरियाली बसाए मानव सोच जो हो गई कलुषित कट गए पेड़ थम गई साँसे उससे इस धरा

अलग अलग ऑफिस

अलग अलग ऑफिस

By Shivani RathoreMay 26, 2021

आलेख : धैर्यशील येवले आज मैं और मेरे भगवान सुबह की सैर को निकले , सड़के सुनसान थी इक्कादुक्का राहगीर दिखाई दे जाता। हम दोनों सुबह की ताजी हवा का

बताओ मुझे गौतम

बताओ मुझे गौतम

By Rishabh JogiMay 26, 2021

धैर्यशील येवले इंदौर हे गौतम बताओ मुझे आत्मबोध पाना कितना सरल है । बताओ मुझे वे गूढ़ रहस्य जो तुमने जाने बोधी की शीतल छाया में अनेक दैहिक प्रयोग से

सच्चाई: आपको हरहाल में कामयाब होना है

सच्चाई: आपको हरहाल में कामयाब होना है

By Ayushi JainMay 23, 2021

आलेख: धैर्यशील येवले अक्सर देखा गया है कामयाब इंसान जो भी बोलता है ,उसे कामयाबी की कुंजी मान लिया जाता है। मोटिवेशनल स्पीच देने वाले अक्सर अपने व्याख्यान में कामयाब

भोर

भोर

By Mohit DevkarMay 23, 2021

धैर्यशील येवले इंदौर हो रहा दुआओं का असर धीरे धीरे खिल रही होंठो पर हँसी धीरे धीरे टूटे रिश्तों की डोर जुड़ रही धीरे धीरे झुकी झुकी नज़रे उठ रही

रक्षक

रक्षक

By Shivani RathoreMay 21, 2021

धैर्यशील येवले, इंदौर   मत मार ,यार मेरे मत मार कोई निकला होगा राशन लेने कोई दवाई ,दूध, ईंधन लेने कुदरत तो मार ही रही है , हालात भी रहे है

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

By Mohit DevkarMay 21, 2021

रश्मि भट्ट मौलिक -इन्टरनेशनल चाय दिवस वो चाय और साथ तुम्हारा जैसे कोई, चमकता सितारा सुबह-सुबह चाय को पीना जैसे कोई जिन्दगी ही जीना आंखो की सुस्ती खुलती हमारी नजरों

प्रवाह

प्रवाह

By Mohit DevkarMay 21, 2021

धैर्यशील येवले इंदौर वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय के प्रवाह में ये भी तो बहेगा बदलती है रुते बदलती है राते रुकता नही जीवन झुकता

गुनगुना

गुनगुना

By Mohit DevkarMay 18, 2021

जीवन ये गीत है जीवन संगीत है बिसार सारे गम ,कर कड़वी बाते अनसुना गुनगुना गुनगुना जीवनगीत गुनगुना ।। देख बहारे फूलों की सावन के झूलो की खुशियों से भरे

ग़ज़ल

ग़ज़ल

By Mohit DevkarMay 17, 2021

ग़ज़ल धैर्यशील येवले इंदौर – कभी तेरी जवानी में ,सभी के ढंग थे यारा । कभी तेरी कहानी में ,सभी के रंग थे यारा । वहा मेरी जमी तो है,

रब जाने

रब जाने

By Rishabh JogiMay 16, 2021

धैर्यशील येवले इंदौर दोस्ती में इतना तो कर लेता हूँ ये जानते हुए भी की तेरी जेब में खंजर है , तुझे गले लगा लेता हूँ कुछ फैसले रब पे

आज विश्व परिवार दिवस है

आज विश्व परिवार दिवस है

By Mohit DevkarMay 15, 2021

धैर्यशील येवले – थोड़ा थोड़ा जोड़ा परिवार के लिए थोड़ा थोड़ा खोया परिवार के लिए थोड़ी थोड़ी खुशी परिवार के लिए थोड़े थोड़े गम परिवार के लिए पैसा पैसा जोड़ा

रमजान ईद – यादें कैद नहीं रहतीं

रमजान ईद – यादें कैद नहीं रहतीं

By Mohit DevkarMay 13, 2021

विजय सिंह – आज सुबह मैने माहोल देखते डरते डरते , जाकीर को फोन लगाया, मैंने बोल : जाकीर , विजय मामा बोल रहा हूँ, सब ठीक हैं, ना सब!

 हां मैं परिचारिका (नर्स) हूं।।

 हां मैं परिचारिका (नर्स) हूं।।

By Mohit DevkarMay 12, 2021

बबीता चौबे शक्ति – हां मैं परिचारिका (नर्स) हूं ।। हर सकती हूँ कष्ट ,दर्द,पीड़ा को हां मैं गंगा हूं …जो तार सकती हूं अस्वस्थता से जन जीवन को हां

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