आर्टिकल
भाजपा में रूठे नेताओं की मान – मनुहार
दिनेश निगम ‘त्यागी’ मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करने के बाद भाजपा ने अपना पूरा ध्यान विधानसभा की 25 सीटों के लिए होने वाले उप चुनावों की तैयारी पर केंद्रित
अपराध के ‘रक्तबीजों’ को सींचता कौन है!
जयराम शुक्ल हमारे देश का मीडिया अजब-गजब है। एक मुद्दे को चबाते हुए पचा नहीं पाता कि उसकी उल्टी कर दूसरे की तरफ लपक पड़ता है। ड्रैगन को बैगन बनाकर
याचित ‘शुभकामनाओ -सांत्वनाओं’ का यह अजब समय
अजय बोकिल सोशल मीडिया के वैश्विक साम्राज्य का अदना-सा नागरिक होने के नाते एक डर मुझे अक्सर सताने लगा है। डर इस बात का कि बोर्ड परीक्षाओ के रिजल्ट हो,
क्या विकास का ‘एनकाउंटर’ ब्राह्मणों के साथ ‘नाइंसाफी’ है?
अजय बोकिल जिस तरह होली की बुझती अंगार से घर का चूल्हा सुलगाने की लोक परंपरा है, कुछ उसी तरह राजनीति भी लाशों पर जातीय सियासत के शोले भड़काने से
प्रभाष जोशी के घर खूब मनी भुट्टे के भजिए की पार्टी
अर्जुन राठौर देश के जाने-माने पत्रकार स्वर्गीय प्रभाष जोशी का आज जन्मदिन है और ऐसे में उनसे जुड़ा एक किस्सा मुझे याद आ रहा है बात उन दिनों की है
‘निर्भय निर्गुण ,गुण रे गाऊँगा’ गीत को ताउम्र रीझते रहे प्रभाष जोशी
प्रभाष जी आज होते तो चौरासी बरस के होते। देश की मौजूदा समस्याओं पर उनकी दृष्टि होती। ताकतवर राय होती। वे क्या लिखते यह लिखना मुश्किल है। क्यों कि संतों
अश्व, गर्दभ एकता जिंदाबाद
शशिकान्त गुप्ते का व्यंग्य अश्वों और गर्दभो की संयुक्त सभा में राजनीति में सलंग्न जनप्रतिनिधियों की भत्सर्ना की गई। जनप्रतिनिधियों के लिए एक निंदा प्रस्ताव भी पढ़ा गया।इस निंदा प्रस्ताव
इस महिला डीएफओ ने जो हौसला दिखाया उसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे
प्रशांत कश्यप की वाल से क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह महिला जो जमीन पर बैठी हजारों लाठी लिए लोगों के सामने हाथ जोड़कर भीख़ माँग रही है
हमारे पास आज है,कल भी आज ही होगा
अनिल त्रिवेदी सनातन समय से हम याने मनुष्यों को आध्यत्मिक वृत्ति के दार्शनिक चिंतक विचारक समझाते रहे हैं कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए।वस्तुत:हम पूरा जीवन वर्तमान में ही जीते
पैसों की सभ्यता और मानव जीवन
अनिल त्रिवेदी आज की दुनिया के लोग पैसों के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर पाते हैं।इसी से मनुष्यों के सारे व्यवहार,आचार, विचार सब कुछ पैसों के आसपास चलते हैं।मनुष्य
एक पप्पू ने डुबो दी पार्टी की लुटिया…!
राजेश ज्वेल गांधी- वाड्रा परिवार पता नहीं कौन-से स्वप्नलोक में जीता है कि उसे कांग्रेस पार्टी की दुर्गति समझ नहीं आती… जो गलती पान की दुकान या ठेला चलाने वाला
ज्योतिरादित्य की पौ – बारह, नहीं आई विषपान की नौबत
दिनेश निगम ‘त्यागी जैसी संभावना थी वही हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पौबारह रही। कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा की बनवाने का ईनाम उन्हें पहले मंत्रिमंडल विस्तार में ही मिल
राजबाडा 2 रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी बात यहां से शुरू करते हैं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की कार्यशैली ने प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे का रुतबा बढ़ा दिया है।
शिवराज की राह पर दिग्विजय….
दिनेश निगम ‘त्यागी’ सत्ता से बेदखल होने के बाद जो शिवराज सिंह चौहान कर रहे थे, लोकसभा चुनाव हारने के बाद उसी राह पर दिग्विजय सिंह हैं। मुख्यमंत्री पद से
व्यवस्था का ही ‘व्यवस्था’ की ज़रूरत से उठता यक़ीन !
श्रवण गर्ग आँखों के सामने इस समय बस दो ही दृश्य हैं: पहला तो उज्जैन स्थित महाकाल के प्रांगण का है।उस प्रांगण का जो पवित्र क्षिप्रा के तट पर बस
माफिया का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
शशिकांत गुप्ते माफिया का शाब्दिक अर्थ होता है, गैरकानूनी कार्य कुशलतापूर्वक संपन्न करने की क्षमता रखने वालो का समूह।यह समूह अंर्तराष्ट्रीय स्तर का भी होता है।अंर्तराष्ट्रीय माफिया समूह की फेंच्याईसी
राजनीतिक युक्त फ़िल्मी ड्रामा?
शशिकांत गुप्ते फिल्मी ड्रामें की पटकथा जैसे लिखी गई थी,ठीक वैसा ही हूबहू ड्रामे का पटाक्षेप भी हुआ।सस्पेंस नदारद हुआ।सस्पेंस को हिंदी में दुविधा कहते हैं।दुविधा की स्थिति तो ड्रामा
अपराधियों और राजनीति के पाणिग्रहण की पुरोहित कांग्रेस माफ़ी मांगे, पुलिस की हौंसला अफजाई करे : मालू
गोविंद मालू दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के हश्र के बाद अब यह दिन के उजाले की तरह साफ हो गया कि भाजपा सरकारें चाहे उत्तरप्रदेश की हों या मध्यप्रदेश की
कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने राजनेताओं की बढ़ाई दिल की धड़कनें
अरुण पटेल जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना हैं वहां राजनीतिक दलों की गतिविधियां अब तेज होने लगी हैं, लेकिन कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों
भोपाल क्यों याद करे काॅमेडियन जगदीप को ?
अजय बोकिल कोई फिल्मी या मंचीय किरदार जब जिंदगी की हकीकत से एकाकार हो जाए तो समझिए कि उस कलाकार ने समय पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। वरना बतौर