आर्टिकल
क्या ऐसी ‘हिंसक अराजकता’ के साथ ही जीना पड़ेगा ?
-श्रवण गर्ग देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में बीस जुलाई को एक बेक़सूर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या पर पत्रकारिता के शीर्ष संस्थानों जैसे एडिटर्स
राम मंदिर शिलान्यास: ‘मुहूर्त’ पर बवाल और हाशिए पर ‘लाल’…
अजय बोकिल ज्योतिष पत्रकारिता तो होती है, लेकिन पत्रकारिता में न तो ज्योतिष और न ही कोई मुहूर्त होता है। अगर होता भी है तो 24 घंटे होता है। इस
राजस्थान की रेतीली आँधी, प्रजातंत्र का पराभव
एन के त्रिपाठी सदैव समस्याओं से घिरे इस देश के लिए राजस्थान का घटनाक्रम कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। यह राजनीतिक मूल्यों की गिरती हुई एक लंबी यात्रा का
कोरोना कहर के दौर की एक प्रेरणादायी और अनुकरणीय मिसाल
अनिलकुमार धडवईवाले तीन माह के लंबे लॉक डॉऊन के बाद फिर से कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा है। इंदौरशहर में कोरोना संक्रमण पर लगाम नही लग पा रही
N95 मास्क: 3 महीने में जनता को लगी करोड़ों की चपत…
राहुल गोरानी लॉकडाउन के 3 महीने से ऊपर गुजर जाने के बाद सरकार को याद आता है की n95 वाल्व वाले मास्क किसी काम के नहीं है… अब बताओ इसे
कोरोना की तलाश में
विश्वास व्यास हम इंदौरी भाई लोग निडर, बहादुर, वीर योद्धा है। हमारी कॉलोनी में जिस घर मे कोरोना निकला है। वह छोटा मोटा टूरिस्ट स्पॉट हो गया है, मोहल्ले के
मौत के भय की समाप्ति या व्यवस्था के प्रति तिरस्कार!
श्रवण गर्ग कोरोना प्रभावितों की संख्या ग्यारह लाख को पार कर गई है! हमें डराया जा रहा है कि दस अगस्त के पहले ही आंकड़ा बीस लाख को लांघ सकता
प्रेम के पुजारी
-रमेश रंजन त्रिपाठी कवि पुंगव गोपालदास ‘नीरज’ को हमसे बिछुड़े दो वर्ष हो गए। हमें हिंदी सिनेमा का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि फिल्मी गीतों के माध्यम से अनेक ऐसे लोग
कुनबा बढ़ने से बिखरने लगा संगठन….
कांग्रेस तोड़कर भाजपा प्रदेश की सत्ता में काबिज हो गई। सत्ता की चकाचौंध के कारण कांग्रेस के टूटने का क्रम अब भी जारी है। भाजपा का कुनबा बढ़ रहा है
भाजपा के नहले पर दहला जड़ने की तैयारी में कांग्रेस
दिनेश निगम ‘त्यागी’ सरकार गिराने-बनाने के बाद अब उप चुनावों को लेकर भाजपा-कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल चल रहा है। भाजपा के पास जो रिपोर्ट है, उसके अनुसार कांग्रेस
शत्रुघ्नसिंह तिवारी को जानना इसलिए जरूरी!
पुण्यस्मरण/जयराम शुक्ल आज जब मध्यप्रदेश की राजनीति में विंध्यक्षेत्र के प्रतिनिधित्व की उपेक्षा पर चौतरफा बात चल रही है ऐसे में यहां के वो नेता बरबस ही याद आ रहे
दरअसल प्रभाष दा संस्कारित पत्रकारिता की उपज थे
सुरेन्द्र बंसल कुछ समय उनके साथ रहा, लेकिन उनसे जुड़ा तो कभी जुदा ही नहीं हुआ, क्यों ….अवसर तो बहुत थे..चाहे जितना आगे निकल जाते…होता भी यही है..हर कोई अपने
कोरोना और व्यंग्य?
शशिकान्त गुप्ते एक स्वाभाविक प्रश्न जहन में उभर कर आया।क्या कोरोना पर व्यंग्य लिखा जा सकता है?यह प्रश्न अपने आप में बहुत कठिन है? व्यंग्य लिखना अर्थात शब्दो का खेल
अड़ोस पड़ोस स्थायी सुरक्षा का भाव हैं
अनिल त्रिवेदी जैसे विशाल वट वृक्ष की छांव सबकी होती हैं।छांव पर किसी का विशेषाधिकार नहीं हैं।जो वृक्ष के पास आवेगे वे सब वृक्ष की छांव पावेगे।छांव एक परिस्थिति जन्य
किराए के रोने वाले
निर्मल उपाध्याय इस कोरोना त्रासदी ने जैसे स्वाभाविक, और वैधानिक दृष्टि से संवेदनाओं पर अपने युग ने नए दृष्य और नए संस्कार, विचार उकेर दिए हैं ।घर में कोई कोरोना
लॉक डाउन कोरोना का हल नहीं, सतर्कता ज़रूरी
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ विश्वभर में कोरोना का हाहाकार है, त्राहि-त्राहि के इतर कुछ सुनाई नहीं दे रहा है, जनता भयग्रस्त है। विश्वबंदी भी करके देख ली, देशबन्दी से भी
केरल: किसका सियासी पानी उतारेगा सोना तस्करी कांड ?
अजय बोकिल जहां देश में सोने के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दक्षिणी राज्य केरल में सोना तस्करी कांड ने मुख्यमंत्री पी. विजयन का चैन छीन लिया है।
किसकी है खता, किसे दें हम सजा
इसमें हैं कुछ सीधी सच्ची कथाएं जो हमारे गांव से शुरू होती हैं। इनकी अनुगूंज आपके भी गांव-कस्बे या शहर में सुनाई पड़ सकती हैं। अपने इर्द- गर्द झांकिए सभी
‘ तुम हमें समर्थन दो, हम तुम्हें सत्ता देंगे ‘
श्रवण गर्ग कांग्रेस और भाजपा के बीच इस समय जो कुछ भी चल रहा है उसे लेकर लोगों के मन में दो-तीन तरह के सवाल हैं : क्या कांग्रेस (या
मीडिया पर कसता शिकंजा और माफिया की ‘मीडियागिरी’
अजय बोकिल करीब ग्यारह साल पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक लेख छपा था। इसमें कहा गया था कि जैसे देश में तेल और रेत माफिया है,