आर्टिकल
“रॉफेल से किया विपक्ष को फैल”
शशिकान्त गुप्ते का व्यंग अंततः रॉफेल भारत की धरती पर उतरा।विरोधियों के सारे आरोप धरे रह गए।विरोधियों की समझ पर तरस आता है,कोई भी वस्तु वास्तव में खरीदी जाती है,तब
छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध अमारी भाजी जिसकी शौकीन अभिनेत्री आशा पारेख भी है
शालिनी अवस्थी छत्तीसगढ़ की 36 भाजियां भाजी नंबर-1. अमारी भाजी छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों की शुरुआत आज उस अमारी भाजी से जिसे बॉलीवुड की “सायोनारा गर्ल” आशा पारेख भी पसंद
आस्थावान लोगों को बधाई
शशिकांत गुप्ते का व्यंग्य आस्थावान लोगों की मनोकामना पूरी हो गई।अब कोई भी रोक नहीं सकता।कोई टोक नहीं सकता है।आस्थावान लोगों ने रामजी की सच्ची कसम खाई थी।मंदिर वही बनाएंगे।मंदिर
नकुलनाथ होंगे युवा नेतृत्व का चेहरा, कांग्रेस में परिवारवाद का एक और कदम
समीर पाठक कांग्रेस परिवारवाद का दंश आज से नही बल्कि इसके जन्म से ही झेल रही है। गांधी परिवार की छांव तले पली-बढ़ी कांग्रेस में अब दूसरे परिवार भी पीछे
भाजपा : नाराज हो रहे लामबंद, असंतुष्ट मुखर
दिनेश निगम ‘त्यागी’ कांग्रेस में बगावत के बाद सरकार बनाने एवं कुछ और विधायकों को तोड़ लेने का मतलब यह कतई नहीं कि भाजपा के अंदर सब ठीक-ठाक है। सब
राम पसन्द न हो तो किसी इस्लामिक मुल्क में पनाह लें ओवैसी
गोविंद मालू खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने कहा कि “अयोध्या में भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने पर ए. आई.एम.आई.एम. के सदर ज़नाब असदउद्दीन ओवैसी
चलते-फिरते कोरोना बम हैं हमारे नेताजी…!
मोटी चमड़ी के हमारे नेताओं को किसी बात से फर्क नहीं पड़ता और कोरोना को भी उन्होंने कुछ नहीं समझा, लेकिन अब चपेट में आने लगे हैं… मुख्यमंत्री के बाद
अधिकारियों के अवतार में हमारे नेताजी…
तुलसी सिलावट इंदौर के मुख्यमंत्री, कैलाश विजयवर्गीय प्रमुख सचिव, कृष्णमुरारी मोघे संभागायुक्त, शंकर लालवानी-गौरव रणदीवे कलेक्टर, विधायक महेन्द्र हार्डिया निगमायुक्त, तो आकाश विजयवर्गीय एडीएम की भूमिका में… संजय शुक्ला इंदौर
दिल्ली में हिंदी भवन बनने की पूरी कहानी
हिंदी कविसम्मेलनों में धूम मचाने वाले,हास्यरसावतार के विशेषण से सुशोभित सुप्रसिद्ध कवि पं. गोपालप्रसाद व्यास से कौन परिचित न होगा?लेकिन व्यासजी का यह परिचय अधूरा हैं।वे एक अनन्य समर्पित हिंदी
जनतंत्र के यातना शिविर
निर्मल उपाध्याय कोरोना त्रासदी को सरकार ने दूसरे दर्जे पर रख दिया है।ऐसा हमने ही नहीं दुनिया ने भी ऐसा किया है।आर्थिक गतिविधियों के नाम पर,जीवन अवरुद्ध हो जाने के
जीवन का प्राकृत स्वरुप ही उत्सव है
अनिल त्रिवेदी जीवन क्या है ?क्या नहीं है? यह तय करना सरल भी है! और चुनौती पूर्ण भी है!एक समझ यह भी है कि जीवन केवल जीवन है ,उससे कम
राम मंदिर शिलान्यास की इतनी भी क्या जल्दी थी
कमलगुप्ता “विश्वबंधु “ वर्तमान में कोरोना महामारी से दुनियाभर के देशों के साथ भारत भी झूंज रहा है। सभी मानते है कोरोना का संकट अभी टला नही है। सभी सामाजिक,
दलदल में फंसा दलबदल विरोधी कानून, चुनाव लड़ने पर 6 साल की रोक लगे
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के द्वारा लिखा गया लेख आजादी के बाद देश में लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके है। विगत 70 वर्षों में राज्यसभा, राज्य विधानसभा
ठेले पर आम बेचती इंदौर की डॉक्टर रईसा अंसारी
पूनम कौशल हमारी व्यवस्था का वो सच हैं जिसे जानते तो सब हैं लेकिन जिस पर बात कोई नहीं करना चाहता. फ़िज़िक्स में पीएचडी इस महिला पर आज सबको तरस
शत शत नमन. आज भारत रत्न, पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्य तिथि है
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त पांच साल पहले आज ही के दिन, 27 जुलाई 2015 की शाम मेघालय की राजधानी शिलांग में स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर
सियासत के बाजार में रद्दी के भाव वाले लोग
जयराम शुक्ल इस साल वसंत के बाद की गर्मियों का पतझड़ पेड़ों में आने की बजाय कांग्रेस में आ गया। सावन की इस हरियरी में डाली-डाली, पत्ता-पत्ता सब झड़ने को
सियासत के बाजार में रद्दी के भाव वाले लोग
जयराम शुक्ल इस साल वसंत के बाद की गर्मियों का पतझड़ पेड़ों में आने की बजाय कांग्रेस में आ गया। सावन की इस हरियरी में डाली-डाली, पत्ता-पत्ता सब झड़ने को
क्यों हमारे ‘खून के प्यासे’ होते हैं ये जालिम मच्छर…?
अजय बोकिल कोरोना वायरस के आंतक ने मानो हमे हमारी पुरानी बीमारियां जैसे कि मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनियां आदि को लगभग भुला ही दिया है। शायद इसलिए क्योंकि जानलेवा होने के
देश की सोचो रे
बाकलम- नितेश पाल भैया, ये कोरोना के चलते सब मुहाल पड़ा हुआ है। न खाना है न खाने की व्यवस्था करने वाले। जो पल्ले में चार पैसे थे, वो भी
घर गांव बस्ती मोहल्लों में मस्त बच्चे
अनिल त्रिवेदी आज कल बच्चे मज़े में हैं।बड़े बहुत परेशान हैं।महामारी से नहीं मथापच्ची और बेबात की मारामारी से।बड़ों को इस समय बच्चों के भविष्य की भी बड़ी चिन्ता हैं।होना