प्रेम के पुजारी

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By Ayushi JainPublished On: July 20, 2020

-रमेश रंजन त्रिपाठी

कवि पुंगव गोपालदास ‘नीरज’ को हमसे बिछुड़े दो वर्ष हो गए। हमें हिंदी सिनेमा का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि फिल्मी गीतों के माध्यम से अनेक ऐसे लोग जो न कविता पढ़ते हैं, न सुनते हैं वे भी ‘नीरज’ को जानते हैं। कितने लोगों ने, कवि सम्मेलन में सुनने या हिंदी सिनेमा के गीतों से इतर, ‘नीरज’ को पढ़ा होगा ? हिंदी कविता को स्कूल की कोर्सबुक में पढ़ने के बाद मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ या अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ आदि अनेक महान कवियों को पढ़ने वाले जनसाधारण में कितने लोग मिलेंगे ? यहाँ मैं उन कविता प्रेमियों पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूँ जो आज भी अच्छी गद्य या पद्य सभी रचनाओं को शौक से पढ़ते और सुनते हैं, मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि सिनेमा ने महान साहित्यकारों, नाटककारों, कवियों, संगीतकारों, गायकों, शायरों से हमें परिचित होने का सहज अवसर प्रदान किया है।

प्रेम के पुजारी

कवि सम्मेलनों में ‘नीरज’ के साथ मंच साझा करने वाले खुशकिस्मत कवियों को भी उनको धन्यवाद कहना चाहिए कि श्रोता अपने सबसे पसंदीदा रचनाकार को सुनने के लिए अंत तक बैठे रहते थे और बाकी को भी चाव से सुना करते थे। ‘नीरज’ ने फिल्मी गाने भी अपनी विशिष्ट साहित्यिक शैली में लिखे जो खासे लोकप्रिय हुए। उनके लिखे सिनेमाई गीत केवल ध्यान से सुनकर भी समझा जा सकता है कि रचना ‘नीरज’ की है। ऐसा लगता है कि उनकी प्रसिद्ध कविताओं को फिल्म में पिरोने के लिए ही ‘नई उमर की नई फसल’ बनाई गई थी। लोगों ने उनके नगमों का आनंद लेने के लिए ही ‘नई उमर की नई फसल’ को देखा।

देवानंद ने उनकी प्रतिभा का भरपूर उपयोग किया। राजकपूर ने भी अपने सारगर्भित गीत उनसे लिखवाए। संगीतकारों में शंकर-जयकिशन और एसडी बर्मन से उनकी पटरी खूब बैठी। ‘नीरज’ ने फिल्मों के लिए ‘धीरे से जाना खटियन में ओ खटमल’ (छुपा रुस्तम) और ‘आप यहाँ आए किसलिए’ (कल आज और कल) जैसे हल्के फुल्के गीत भी लिखे हैं। 1970 में रेडियो सीलोन के सालाना प्रोग्राम में बजने वाले गीतों में से पाँच गीत नीरज के थे।

‘नीरज’ के टॉप दस फिल्मी गीतों की मेरी सूची ये है- तुम नाचो रस बरसे, मेघा छाये आधी रात, जैसे राधा ने माला जपी, ऐ भाई जरा देख के चलो, शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, फूलों के रंग से दिल की क़लम से, सुबह न आई शाम न आई, कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे, देखती ही रहो आज दर्पण न तुम और आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है।
‘नीरज’ सर को विनम्र श्रद्धांजलि।🙏