अश्व, गर्दभ एकता जिंदाबाद

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By Mohit DevkarPublished On: July 14, 2020

शशिकान्त गुप्ते का व्यंग्य

अश्वों और गर्दभो की संयुक्त सभा में राजनीति में सलंग्न जनप्रतिनिधियों की भत्सर्ना की गई। जनप्रतिनिधियों के लिए एक निंदा प्रस्ताव भी पढ़ा गया।इस निंदा प्रस्ताव को अश्वों ने हिनहीना कर और गर्दभो ने चिंभो चिंभो के स्वर में रैंक कर पारित किया।निंदा प्रस्ताव में लिखें मुद्दे निम्नानुसार थे।

अश्व, गर्दभ एकता जिंदाबाद

1)जनप्रनिधी मानव होते हुए भी पशुतुल्य व्यावहार करते हैं,यह हमारे लिए शर्म की बात है।
2) यह जिस किसी दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतते हैं, उस दल को त्याग कर दूसरे दल में चले जाते हैं इस तरह यह दोगलाई करते हैं।
3) सबसे घृणित कार्य यह स्वयं के जमीर को तो बेंचते ही है, साथ ही स्वयं भी सदेह बिक जाते हैं।
4)इन मानवो कीअमानवीय खरीदफरोख्त को हॉर्स ट्रेडिंग कहा जाता है।हॉर्स ट्रेडिंग शब्द पर हमें घोर आपत्ति है।
बिकते यह जनप्रतिनिधी हैं, और उपमा हमारी क्या हम इतने गिरे हुए हैं?
4) इन बिकने वाले जनप्रतिनिधियों को अश्वों की उपमा देने के बाद इनके आलोचक इनकी आलोचना “गधा” कह कर करते हैं।यह गर्दभो का अपमान है।
5) गर्दभ और अश्व दोनों एक ही प्रजाति के हैं।

इस संयुक्त साधारण सभा में सर्वानुमति से यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि,मानवीय कमजोरियों को पशुओं की उपमा नहीं दी जाए। गर्दभ भी बिकते हैं।इनके लिए हर शहर में दिन मुकर्रर होते हैं।चाहें जहां, चाहे जब,नहीं बिकते,यह गर्दभ खुलेआम मंडी में बिकते हैं।जनप्रतिनिधियों जैसे गोपनीय ठंग से नहीं। यह गर्दभ दोनों के लिए विश्वसनीय होते हैं।जो बेचता है और जो खरीदता है।

अंत में अश्व,गर्दभ एकता जिंदा बाद के नारे के साथ जनप्रतिनिधियों के खरीदफरोख्त की घोर निंदा की गई।पुनः जनप्रतिनिधयों को आगाह किया गया आप जितना भी अपने स्तर को गिराना चाहो,गिराओ,लेकिन हमारी उपमा देना बंद करो।जब हम यह सुनते,पढ़ते हैं कि आपके निम्नस्तर के कार्य को हमारी उपमा दी गई है,हमे असत्मग्लानी होती है। सभा में उपस्थित सभी अश्वों और गर्दभो के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सभा समाप्ति की घोषणा की गई।