सावन का महीना शिवभक्ति का वह पावन अवसर है जब भक्तजन अपने मन की गहराइयों से भगवान शिव की आराधना करते हैं. पारंपरिक रूप से, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना एक अटूट परंपरा रही है. लेकिन आध्यात्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, सिर्फ सामान्य रूप से बेलपत्र चढ़ाना ही काफी नहीं है – बल्कि इसे सही स्थानों पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में चमत्कारिक बदलाव देखने को मिलते हैं. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सावन में बेलपत्र चढ़ाने के लिए कौन-कौन से 5 खास स्थानों का चयन करना चाहिए और क्यों इन्हीं पर अर्पण करने से आपको मिलेगा अपार सकारात्मक फल.
सावन में बेलपत्र चढ़ाने के लिए कौन-कौन से 5 खास स्थान
1. शिवलिंग के शीर्ष भाग पर (ऊपरी भाग)- शिवलिंग के ऊपरी हिस्से में चढ़ाये गए बेलपत्र को माना जाता है कि वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करते हैं. इस स्थान पर अर्पण करने से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और उच्च स्तर की एकाग्रता प्राप्त होती है.
कैसे करें: पूजा स्थल को पहले गंगाजल से शुद्ध करें, फिर शिवलिंग के ऊपरी भाग पर तीन बार बेलपत्र अर्पित करें, साथ में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें.
2. शिवलिंग के मध्य भाग (बीच का क्षेत्र)- यह क्षेत्र भगवान शिव के आत्मा और ऊर्जा के मिलन का प्रतीक माना जाता है, मध्य भाग पर अर्पण करने से परिवारिक सुख, वैवाहिक समृद्धि और संतानों की प्राप्ति में लाभ होता है.
कैसे करें: शीतल जल से शिवलिंग को थोड़ी देर भिगोकर रखें, फिर मध्य भाग पर बेलपत्र चढ़ाएं, साथ में बेलपत्र अर्पण के दौरान “ॐ भवानी नमः” या “ॐ हरि नमः” का जाप करें.
3. शिवलिंग के आधार या जड़ (नीचे का क्षेत्र)- आधार या जड़ वह क्षेत्र है जहाँ से शिव की सारी शक्ति निकलती है. इस हिस्से पर बेलपत्र अर्पित करने से यह माना जाता है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आर्थिक समृद्धि का संचार होता है.
कैसे करें: पूजा से पहले शिवलिंग के आधार को अच्छी तरह से साफ कर लें, 7 या 9 बेलपत्र लेकर उसे इस भाग पर अर्पित करें, साथ ही “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करें.
4. मंदिर के प्रांगण या चौकी पर (पूजा स्थल का बाहरी हिस्सा)- मंदिर के प्रांगण में अर्पित बेलपत्रों को माना जाता है कि वे मंदिर में प्रवेश करने वाली सभी सकारात्मक ऊर्जा का द्वार खोलते हैं. यह अर्पण घर में आने वाले सभी आगंतुकों और भक्तों के लिए आशीर्वाद का संकेत होता है.
कैसे करें: मंदिर के प्रांगण में बेलपत्र अर्पित करने से पहले उसे गंगाजल से धोकर ताजा कर लें, 3 बार प्रार्थना के बाद इस क्षेत्र में बेलपत्र रखें.
5. घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर (मुख्य प्रवेश द्वार)- घर के मुख्य द्वार पर अर्पित बेलपत्र से माना जाता है कि नकारात्मक शक्तियाँ बाहर रहती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. यह धार्मिक मान्यता है कि भक्तों के घर में आने वाले सभी लोग, खासकर परिवार के बुजुर्ग और बच्चे, उसके प्रभाव से लाभान्वित होते हैं.
कैसे करें: मुख्य द्वार के पास एक छोटा सा भगवान शिव का चित्र या मूर्ति रखें, वहां पर तुलसी के पौधे, दीपक और बेलपत्र के साथ “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करें.