पद्मश्री स्वर्गीय कुट्टी मेनन आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़े हुए कई खट्टे मीठे किस्से याद आ रहे हैं कुट्टी मेनन पहले इंदौर के कस्तूरबा ट्रस्ट में सचिव हुआ करते थे और वहां की अध्यक्ष थी डॉक्टर सुशीला नैयर उन्हीं दिनों मेरी नियुक्ति पहली नौकरी के रूप में कस्तूरबा ट्रस्ट के जनसंपर्क अधिकारी तथा वहां की पत्रिका कस्तूरबा दर्शन के संपादक के रूप में हुई थी उन्हीं दिनों मेनन जी से अक्सर मुलाकात होती और उनके कहे अनुसार कस्तूरबा दर्शन पत्रिका में मैटर भी दिया जाता था इस पत्रिका का प्रकाशन जागरण प्रेस के कड़ाव घाट स्थित परिसर में होता था ।
मुझे लिखने का शौक था इसलिए उन्हें दिनों मेरा एक आलेख नई दुनिया में प्रकाशित हुआ यह लेख मैंने असरावद गांव में शोध करने के लिए आई अमेरिकी छात्रा कैथरीन धाम सन के इंटरव्यू के आधार पर लिखा था इस आलेख में श्रीमती इंदिरा गांधी की तारीफ की गई थी उस समय इंदिरा जी सत्ता से बाहर थी और जनता पार्टी का शासन था इस आलेख के छपने के बाद कुट्टी मेनन मुझसे नाराज हो गए हैं उन्होंने कहा कि आपको इस आलेख को नहीं लिखना था मैंने उनसे कहा कि इस आलेख को मैंने अमेरिकी छात्रा द्वारा बताए गए विवरण के आधार पर लिखा है मेरा इसमें कोई अलग से मत मैंने नहीं दिया है लेकिन मेनन जी मुझसे लगातार नाराज ही रहे उन्होंने कहा कि अध्यक्ष डॉक्टर सुशीला नैयर भी आप से नाराज हैं अंततः मुझे यह नौकरी छोड़ना पड़ी ।
उन्हीं दिनों कांग्रेस से सांसद थे प्रसिद्ध कवि श्रीकांत वर्मा मैं जब दिल्ली में गया तो मैंने उन्हें यह पूरा किस्सा सुनाया संयोग से कुछ ही दिनों बाद इंदिरा जी की सत्ता में वापसी हो गई और जब मैं दूसरी बार दिल्ली गया तब तक इंदिरा जी प्रधानमंत्री बन चुकी थी मैंने श्रीकांत वर्मा जी से कहा कि मैं कस्तूरबा ट्रस्ट के बारे में शिकायत इंदिरा जी से करना चाहता हूं वहां पर गलत ढंग से लोगों को हटाया जा रहा है इसके अलावा और भी कई मामले मेरे पास थे तब उन्होंने मुलाकात की व्यवस्था कर दी वे खुद मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय में लेकर गए और वहां जाकर मैंने इंदिरा जी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा जिसमें कुट्टी मेनन को इस आधार पर पद से हटाने की मांग की गई थी कि ट्रस्ट के संविधान में यह पद महिलाओं के लिए आरक्षित है ऐसे में यहां पर पुरुष सेक्रेटरी नहीं बन सकता ।
जब मैं शिकायत के बाद इंदौर लौट कर आया और उन्हीं दिनों नई दुनिया के संपादक राजेंद्र माथुर जी से मिलना हुआ तो उन्होंने कहा कि तुम मेनन जी की शिकायत करने दिल्ली तक पहुंच गए मैंने कहा सर आपको कैसे पता चला तो कहने लगे मेरी श्रीकांत वर्मा से बात हुई थी उन्होंने कहा कि तुम उनसे मिले थे माथुर जी ने कहा कि यार यह इतनी बड़ी बात नहीं थी मैंने कहा सर मुझे गलत तरीके से हटाया और जिस लेख के कारण हटाया वह नई दुनिया में छपा था इसलिए मुझे कुछ तो करना ही था ।
कुछ ही दिनों बाद कुट्टी मेननजी को वहां से हटा दिया गया बाद में वे कृषि विज्ञान केंद्र तथा गौशाला में चले गए। हालांकि उनसे बाद में कई बार मुलाकाते हुई तब वह हंसकर यही कहते थे यार तुम ने हद कर दी मेरी शिकायत इंदिरा जी तक पहुंचा दी थी । मेनन जी ने पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया था उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
अर्जुन राठौर