कलेक्टर की उपस्थिति बनी विवाद की वजह, मंच पर गरमाई सियासत, सांसद व पूर्व मंत्री के बीच हुई नोकझोंक

नीमच में लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दौरान सांसद सुधीर गुप्ता और कलेक्टर हिमांशु चंद्र एक साथ मंच पर मौजूद रहे, जिस पर पूर्व मंत्री सुभाष सोजातिया ने 43 साल पुराने एक समान कार्यक्रम का उल्लेख किया।

Abhishek Singh
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कलेक्टर की उपस्थिति बनी विवाद की वजह, मंच पर गरमाई सियासत, सांसद व पूर्व मंत्री के बीच हुई नोकझोंक

नीमच में आयोजित विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरण कार्यक्रम के दौरान सांसद सुधीर गुप्ता और कलेक्टर हिमांशु चंद्र एक ही मंच पर नजर आए। कार्यक्रम शुरू होने से पहले दोनों ने साथ बैठकर आपस में बातचीत भी की। इस मंच साझा करने की घटना पर पूर्व मंत्री सुभाष सोजातिया ने अपने फेसबुक अकाउंट से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने 43 साल पुराने एक कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए लिखा कि मंदसौर में उस समय के सांसद भंवरलाल नाहटा और कलेक्टर मदन मोहन उपाध्याय ने भी मंच साझा किया था।

15 साल पुरानी घटना का संदर्भ

संचालन के दौरान मंच संचालक ने गलती से कह दिया कि नाहटा जी कलेक्टर साहब का स्वागत करेंगे, जिससे नाहटा अप्रसन्न हो गए। स्थिति संभालने के लिए तत्कालीन कलेक्टर मदन मोहन उपाध्याय को माइक लेकर स्पष्ट करना पड़ा कि वे सांसद का स्वागत करेंगे। सुभाष सोजातिया ने अपनी पोस्ट में करीब 15 साल पहले जावद में हुए एक कार्यक्रम का जिक्र भी किया, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर प्रभात पाराशर मंच पर मौजूद थे। उन्होंने लिखा कि उस समय नगर पंचायत अध्यक्ष मांगीलाल हकवाडि़या ने पाराशर को मंच पर बैठाया था, जिससे वे स्वयं और तत्कालीन मंत्री सज्जन सिंह वर्मा असहज हो गए थे। हाल ही के आयोजन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस बार सांसद और कलेक्टर न केवल मंच पर एक साथ बैठे, बल्कि उनकी बातचीत का अंदाज़ ऐसा था मानो दोनों समान पद पर हों।

सांसद सुधीर गुप्ता का सोजातिया को करारा जवाब

सोजातिया की इस पोस्ट के जवाब में सांसद सुधीर गुप्ता ने भी एक पोस्ड डाली। जिसमें उन्होंने लिखा कि सोजातिया जी आप पांच बार विधायक व मंत्री रहे है। आपके मन में भरी दुर्भावनाएं,भेदभाव, आचरण में ऊँच-नीच की भावना के कारण आप अच्छे अवसर खोज नहीं पाए। हमारी सरकार ने प्रदेश में 94 हजार से अधिक विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरण किए थे। मैं खुद उस आयोजन में जनप्रतिनिधियों व कलेक्टर व अन्य गणमान्य नागरिकों के साथ मौजूद था।

IAS अधिकारी से संवाद पर क्यों उठे सवाल?

आप लोगों के कार्यकाल में ऐसे अवसर शायद ही आए हो। वैसे भी आप लोग भारत की प्रजातांत्रिक प्रणाली में विश्वास नही रखते। आप लोग आपातकाल लगाने के हिमायती रहे हो। जहां तक प्रश्न आईएएस अधिकारी को पास बिठाने का है या पास बैठने का है या गुप्तगू करने तो इसके लिए भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे में बड़ा ही सुंदर वर्णन है। ‘विधायिका’, ‘न्यायपालिका’ व कार्यपालिका के बीच संबंधो को लेकर बहुत बार व्याख्या की गई है। कांग्रेस दल को छोड़कर बाकि समाज संविधान पर संपूर्ण आस्था रखता है।