October Month Festival: हिंदू धार्मिक मान्यता के आधार पर हर एक त्यौहार अर्थात फेस्टिवल बड़े ही जोर शोर के साथ सेलिब्रेट किया जाता हैं। हिंदू पुराणों में हर एक फेस्टिवल का अपना अलग अलग महत्व बतलाया गया हैं। दरअसल हिंदू ग्रंथों में हर महीने के साथ प्रत्येक त्यौहार का वर्णन किया गया हैं और इंडियन फेस्टिवल हमारी हिंदू भारतीय सांस्कृतिक और सभ्यता का महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया हैं। फेस्टिवल हमारे संप्रदायता और इतिहास के महत्व को आगे बढ़ता है। फिर चाहे वह ऋतु का बदलाव हो, व्रत, तीज त्यौहार पूजा या फिर शादी ब्याह हो, तीज त्यौहार की धूम हमें धार्मिक और सामाजिक कीमतों की याद आ ही जाती हैं। वे पीढ़ियों के बीच कल्चरल एक्टिविटीज का आदान प्रदान करते हैं और हमें हमारी नींव से जुड़े रहने में सहायता करते हैं।
वहीं आपको बता दें कि एक हिंदू धार्मिक कथा काफी विशेष अर्थ समझाया गया है जिसका मुख्य परपस भगवान की पूजा आराधना, मानसिक विकारों को नष्ट करके, आत्म-नियंत्रण और मुसीबतों के वक्त भगवान का परम शिष्य प्राप्त करता है। यह भी एक बेहद महत्वपूर्ण साधना है। जिससे आत्मा को परमात्मा के निकट ले जाया जा सकता है हिंदू धर्म में अलग अलग फेस्टिवल्स और महत्वपूर्ण दिनांकों पर व्रत रखने का रिवाज अति आवश्यक समय से चला आ रहा है, या फिर कहें की काफी से लोग इसे पूजा जा रहा हैं।
यहां त्योहारो की सबसे बड़ी लिस्ट में अब बात करते हैं अपकमिंग फेस्टिवल्स की जो इस प्रकार हैं।
जीवित्पुत्रिका फास्ट
दरअसल इस व्रत को 6 अक्टूबर को रखा जाएगा। ‘जीवित्पुत्रिका उपवास’ बेहद खास उपवास है, जो जितिया के नाम से भी काफी ज्यादा मशहूर माना जाता है। इस उपवास का संबंध मां से है, जो अपने संतान की दीर्घायु और सेहत की विनती के लिए इसे रखती हैं।
इंदिरा एकादशी
आपको बता दें कि 10 अक्टूबर को सबसे बड़ा व्रत रखा जाएगा जिसे ‘इंदिरा एकादशी’ कहा जाता हैं। जो पितृपक्ष में आती है। यह पर्व पितरों के प्रति आस्था और सच्चे हृदय और समर्पण के लिए मनाया जाता है।
महालय श्राद्ध
14 अक्टूबर को ‘महालय पितृपक्ष’ का गठन पितृ पक्ष में ही किया जाएगा। इस दिन उन सभी पितरों की दिनांक का स्मरण किया जाता है, जिनकी मौत की तारीख मालूम न हो।
शारदीय नवरात्रि
15 अक्टूबर से सबसे बड़े पर्व अर्थात ‘शारदीय नवरात्रि’ का आगाज होगा, जो 23 अक्टूबर तक विधिवत चलेगा। इस समय अंतराल में देवी नवदुर्गा की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है। जिससे माता हमारे सभी कष्ट हर लेती हैं।
दुर्गा अष्टमी
22 अक्टूबर को ‘दुर्गा अष्टमी’ बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी, जो नवरात्रि के अष्टम दिन पर पूजा की जाती है।
महानवमी
23 अक्टूबर को नव दिवसीय नवरात्रे के तौर पर ‘महानवमी’ मनाई जाएगी, जिस दिन मां दुर्गा की महत्वपूर्ण पूजा उपासना समेत ही देवी नव दुर्गा की तिथि का समापन कर दिया जाएगा।
दशहरा
आगे बात करते हैं 24 अक्टूबर की तो इस दिन ‘दशहरा’ के रूप में जोरदार मनोरंजात्मक जश्न मनाया जाएगा, जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक माना गया हैं।
पापांकुशा
इस दिन 25 अक्टूबर को ‘पापांकुशा’ एकादशी’ सेलिब्रेट की जाएगी, जिससे जातक के तमाम पापों के सर्वनाश हेतु काफी ज्यादा शुभ फलदायी माना गया हैं।
शरद पूर्णिमा
इस महीने का सबसे लोकप्रिय और अंतिम पर्व 28 अक्टूबर को पूर्णिमा अर्थात ‘शरद पूर्णिमा’ के तौर पर मनाया जाएगा। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की विधि विधान के साथ सच्चे हृदय से विशेष पूजा आराधना की जाती है और साफ तौर पर मां लक्ष्मी को खीर का भोग भी लगाया जाता हैं, इससे माता लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं, एवं जातक पर धन की बारिश के देती हैं।