शिवलिंग अभिषेक में क्यों जरूरी हैं गंगाजल, दूध, घी और शहद? जानिए क्या बदल सकता है आपका जीवन

शिवलिंग पर अभिषेक करना सनातन धर्म की एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली विधि मानी जाती है. चलिए जानते हैं कि अभिषेक में क्यों जरूरी हैं गंगाजल, दूध, घी और शहद?

Kumari Sakshi
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शिवलिंग पर अभिषेक करना सनातन धर्म की एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली विधि मानी जाती है. विशेष रूप से गंगाजल, दूध, घी और शहद जैसे शुद्ध और सात्त्विक पदार्थों से शिवलिंग का अभिषेक करना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. तो आइए जानते हैं कि इन चार प्रमुख चीजों से अभिषेक करने का क्या महत्व है, और कैसे ये आपके जीवन में चमत्कारी बदलाव ला सकती हैं.

1. गंगाजल – आत्मशुद्धि और पाप नाशक- गंगा जल को स्वयं मां गंगा का स्वरूप माना गया है, यह जल शुद्ध और पुण्यदायी होता है.

लाभ: गंगाजल से शिवलिंग पर जल अर्पण करने से पापों का नाश होता है, आत्मा की शुद्धि होती है, घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, रोग, शोक और तनाव से मुक्ति मिलती है.

मंत्र: “ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलस्मिन सन्निधिं कुरु॥”

2. दूध – मानसिक शांति और इच्छापूर्ति- दूध को शीतलता और करुणा का प्रतीक माना गया है, शिव को दूध अत्यंत प्रिय है.

लाभ: मन को शांति और संतुलन मिलता है, मानसिक तनाव और क्रोध दूर होता है, मनोकामना पूर्ति होती है, विद्यार्थियों को स्मरण शक्ति मिलती है.

मंत्र: “ॐ सोमाय नमः”

3. घी – स्वास्थ्य और तेज का स्रोत- घी को ऊर्जा और जीवन शक्ति का स्त्रोत माना गया है, इससे शरीर और आत्मा दोनों को पोषण मिलता है.

लाभ: शरीर में ऊर्जा, बल और तेज का संचार, रोगों से सुरक्षा और आयु में वृद्धि, नेत्रों की ज्योति और बुद्धि का विकास, आध्यात्मिक उन्नति.

मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”

4. शहद – आकर्षण, मिठास और प्रेम- शहद को “मधु” कहा जाता है जो जीवन में मिठास और मधुरता लाता है, शिवलिंग पर शहद चढ़ाना रिश्तों में प्रेम और संतुलन लाता है.

लाभ: रिश्तों में मधुरता आती है. प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण बढ़ता है, विवाह योग्य कन्याओं के लिए योग प्रबल होते हैं, घर में शांति और समृद्धि आती है.

मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”

कैसे करें अभिषेक की सही विधि?
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, शिवलिंग को जल से धोकर ताजे गंगाजल, दूध, घी और शहद से क्रमशः अभिषेक करें, प्रत्येक द्रव्य अर्पण करते समय ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करें, अंत में बेलपत्र, धतूरा, भस्म व अक्षत चढ़ाएं, इसके बाद “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें. आरती करके प्रसाद बांटें.