टिकट के संघर्ष में स्वप्निल कोठारी का आदर्श उदाहरण

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मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में इन दोनों गला काट प्रतिस्पर्धा चल रही है। जो नेता विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं वह हर हाल में टिकट प्राप्त कर लेना चाहते हैं । यदि उनके दल के द्वारा उनकी दावेदारी को नकारा जा रहा है तो वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दल के ऊपर ही गुर्राते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की दो सूची और भाजपा की तीन सूची में जिन सीटों के प्रत्याशी घोषित किए गए उनमें से कई सीटों पर स्वयं को टिकट न मिलने से नाराज होकर बहुत सारे नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने, दूसरे दल में शामिल होकर टिकट हासिल करने जैसे पैतरें अपना लिए हैं।

वैसे यह पैतरें राजनीति के लिए कोई नई बात नहीं है। हर चुनाव में ऐसे दृश्य बनते रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वर्तमान दौर की यह हकीकत है। इस हकीकत को दरकिनार करते हुए इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में राजनीति के आदर्श स्वरूप की एक नई कहानी लिखी गई है। इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के दावेदार सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी थे । दोनों ही दावेदारों के द्वारा टिकट के लिए अपना दावा जताने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी गई। कल रात को कांग्रेस के द्वारा जारी की गई सूची में इस विधानसभा क्षेत्र से सत्यनारायण पटेल को टिकट दिए जाने का ऐलान किया गया।

इस ऐलान के बाद आज दूसरे दावेदार स्वप्निल कोठारी ने अपना एक संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से विधानसभा क्षेत्र के अपने समर्थकों के नाम जारी किया है। इस संदेश में उन्होंने टिकट की दावेदारी में उनका समर्थन करने और साथ देने के लिए क्षेत्र के नागरिकों के प्रति आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही इस संदेश में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने और  कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत से कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए काम करने का ऐलान किया है।

यह निश्चित तौर पर वर्तमान दौर में एक असंभव सा दृश्य है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है । यह एक अलग बात है कि यह अपेक्षा अमूमन पूरी नहीं होती है । स्वप्निल कोठारी ने ऐसा आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है जो कि वर्तमान दौर में तो संभव नहीं है । निश्चित तौर पर इस तरह के प्रयास की सराहना की जाना चाहिए ।