भगवान के आशीर्वाद से करें New Year की शुरुआत, साल के पहले दिन इन मंदिरों में रहेगी सबसे ज्यादा भीड़

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इंदौर। नए साल को लोग एक जश्न के तौर पर मनाते हैं। ये एक साल को अलविदा कह कर दूसरे साल को वेलकम करने का मौक़ा होता है। न्यू ईयर आते ही लोगों के चेहरों पर एक अलग ही खुशी देखने को मिलती है। पूरी दुनिया में नया साल बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। बहुत से लोग मानते है कि नया साल अगर अच्छा होगा तो पूरा साल अच्छा बीतेगा। नए साल को अच्छा करने के लिए लोग कई इंतजाम करते हैं। ऐसे में अगर आप भी New Year के सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहे हैं तो घमासान कि तरफ से आपके लिए एक रिक्वेस्ट है कि आप किसी भी प्रसिद्ध मंदिरों में जाओ तो Covid प्रोटोकॉल का पालन करें और ज्यादा भीड़-भाड़ वालीं जगहों से दूर रहे। इन मंदिर में रहेगी ज्यादा भीड़-भाड़ ।

इंदौर खजराना गणेश मंदिर

इंदौर शहर और आसपास के अन्य शहरों के नागरिकों को खजराना मंदिर में बहुत विश्वास है। यह मंदिर बहादुर मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनाया गया था। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है। खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। ज्यादातर बुधवार एवं रविवार को विशाल संख्या मे लोग दर्शन करने के लिए इस मंदिर में आते हैं। तो नॉर्मल सी बात है कि New Year 2023 पर खजराना गणेश मंदिर में लोगों का जमावड़ा लगने वाला है।

देवास माता मंदिर

देवास भारत का एक प्रमुख शहर है जो मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है और इंदौर से सिर्फ 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वैसे तो देवास एक औद्योगिक शहर है और यहां पर नोट छपाई का कारखाना भी स्थित है। इसके अलावा देवास, माता मंदिर की वजह से काफी प्रसिद्ध है जो यहां एक पहाड़ी स्थित है। देवास में स्थित इस मंदिर को कई अलग अलग नाम से भी जाना जाता है माँ चामुण्डा मन्दिर देवास , देवास की माता का मंदिर, देवास वाली मां का मंदिर, टेकरी माता मंदिर, माता मंदिर देवास, और माँ चामुंडा टेकरी। यहाँ भी New Year 2023 पर काफी भीड़ भाड़ होने वालीं है।

सलकनपुर माता मंदिर

मध्यप्रदेश के सलकनपुर में स्थित माता मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, विंध्यवासनी बीजासन देवी का यह पवित्र सिद्धपीठ देवी “दुर्गा” रेहटी तहसील मुख्यालय के पास सलकनपुर गाँव में एक 800 फुट ऊँची पहाड़ी पर है, यह भोपाल से 70 किमी की दुरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग, तथा सीढ़ियां मार्ग भी है जिसमे 1000 से ज्यादा सीढ़ियां हैं। यहाँ भी कभी लोग New Year सेलिब्रेशन करने जाएंगे।

राजस्थान सांवरिया सेठ मंदिर

राजस्थान का सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। राजस्थान के सांवलिया सेठ मंदिर में भी न्यू ईयर पर कभी लोग उमड़ने वाले है।

माता वैष्णो देवी मंदिर

माता वैष्णो देवी मंदिर हिन्दुओं का एक बहुप्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है जहां हर साल देश एवं विदेश से लाखों माता के भक्त और श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आपको बता दें की यह पवित्र धार्मिक स्थल आराध्य देवी माता रानी वैष्णो देवी के शक्ति स्वरुप को समर्पित है। अगर हम बात करें वैष्णो देवी मंदिर के लोकेशन की तो वैष्णो देवी मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू संम्भाग में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है।
माता वैष्णो देवी मंदिर को उत्तर भारत का एक प्रमुख प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है। यदि हम बात करें समुद्र तल से ऊंचाई की तो वैष्णो देवी मंदिर धाम समुद्र तल से लगभग 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ भी New Year 2023 पर काफी भीड़ उमड़ने वालीं है।

काशी विश्वनाथ मंदिर

भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। काशी विश्वनाथ मंदिर को देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। आपको बता दें की यह प्राचीनतम मंदिर कई हजार वर्षों पुराना है। देश के कोने-कोने से लोग यहाँ मोक्ष की प्राप्ति हेतु पवित्र गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं। यदि हम बात करें मन्दिर की भौगोलिक स्थिति की तो काशी विश्वनाथ प्राचीन मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर के बीचोबीच पवित्र नदी गंगा के किनारे पर स्थित है। नए साल में यहाँ भी कभी भीड़-भाड़ देखने को मिलेगी।

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केदारनाथ मंदिर

विश्व विख्यात केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के कुल ने कराया था। यहाँ भी New Year 2023 पर काफी भीड़ उमड़ने वालीं है।