भोपाल। ई-वे बिल, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को लेकर द कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार यानि आज भारत बंद बुलाया है। जिसके चलते सड़क परिवहन क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) और अन्य संगठनों ने भी बंद के समर्थन का ऐलान किया है। जिसके बाद इसका कुछ असर मध्यप्रदेश में भी देखने को मिला।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के GST के कुछ प्रावधानों के विरोध में आज देश के साथ ही मध्यप्रदेश में बंद है। हालांकि यह विरोध स्वेच्छिक है, लेकिन इसका असर पूरे प्रदेश के पुराने बाजारों के थोक किराना व्यापार पर रहेगा। जिसके चलते शुक्रवार को सुबह से जरूरी चीजों की दुकानें खुलीं।
हालांकि भोपाल का थोक किराना बाजार जुमेराती में सुबह इसका असर दिखाई दिया। यहां सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानें नहीं खोलीं। साथ ही भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के महासचिव अनुपम अग्रवाल ने बताया कि हम चाहते हैं कि GST के कुछ प्रावधानों में बदलाव हो। यह बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा। हम सड़क पर ना तो निकलेंगे और न ही दुकानें आदि खोलेंगे। हालांकि सुबह से दुकानें बंद रहती हैं, दोपहर बाद असर दिखाई देने लगा।
अनुपम अग्रवाल ने आगे कहा कि आयकर की धारा 281B और CGST की धारा 83 (3) में फर्जी बिल, गैर-मौजूद विक्रेता, सर्कुलर ट्रेडिंग आदि के कारण कर चोरी के मामलों में कर अधिकारी को बैंक खाते और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे दिया है। ऐसे में वह संपत्ति और बैंक खातों को भी जब्त कर सकता है।
गौरतलब है कि, इसकी मार सबसे ज्यादा ईमानदार व्यापारियों पर पड़ेगी। फर्जी बिलों या गैर कानूनी काम कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन इस कानून का इस्तेमाल उन करोड़ों व्यापारियों के खिलाफ भी किया जा सकता है, जो ईमानदारी से अपना व्यापार कर रहे हैं।
इसके साथ ही कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश सचिव विवेक साहू ने बताया कि नागपुर में हुई बैठे के बाद इस बंद को बुलाया गया है। अधिकांश यूनियन इस बंद के समर्थन में हैं। खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर व्यापारियों में जागरूकता होनी चाहिए। व्यापारिक संगठित होकर अपने खिलाफ होने वाली आवाज को बुलंद करेंगे। फूड सेफ्टी एक्ट में व्यापारियों के खिलाफ ऐसे बहुत सारे नियम हैं, जिसे हल करना बहुत आवश्यक है।
वहीं इस विरोध को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ऐसे आंदोलन की जरूरत नहीं है। हम बातचीत के द्वार खुले रखते हैं। सरकार हर संभव कोशिश करती है।