भाजपा की कमजोरी दूर करने के लिए संघ हुआ एक्टिव, संघ प्रमुख ने बढ़ाई सक्रियता, 4 जिलों में कर चुके है दौरा

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विपिन नीमा

इंदौर। इस साल के अंत मे होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का ट्रिपल S पूरी तरह से इलेक्शन मूड में आ गया है। भाजपा की तीनो बड़ी शक्तियो सरकार , संगठन और संघ ने अपनी अपनी जिम्मेदारिया संभाल ली है। सरकार जनता को योजनाओं का लाभ दिलाने मेंजुटी है तो संगठन राजनीतिक नियुक्तियो में व्यस्त है। हमेशा चुनाव में परदे के पीछे रहकर भाजपा को ताकत देने वाला सबसे मजबूत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी चुनाव पर खास नजर रखना शुरु कर दी है। संघ प्रमुख भी प्रदेश में सक्रिय हो गए है। विगत 17 साल से मप्र में राज कर रही भाजपा ने प्रदेश की महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना शुरु करके एक बड़ा दाव खेला है, जो गेमचेंजर साबित हो सकता है।

चुनाव से पहले जरूरी है संगठन और सरकार के बीच सही तालमेल

इस बार भाजपा को थोड़ी ज्यादा मेहनत करना पड़ेगी, क्योंकि पिछला चुनाव (2018) कुछ कमियों के कारण भाजपा ने गंवा दिया था, हालांकि कांग्रेस इसका ज्यादा फायदा नहीं उठा सकी थी और 15 महीने में ही सरकार से बाहर हो गई थी। फिर से सरकार में आने भाजपा इस बार संगठन और संघ दोनों मिलकर भाजपा को सत्ता वापसी के लिए जोर लगा रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों सरकार और संगठन के बीच तालमेल नहीं बैठने को लेकर खबरे बाहर आई थी, लेकिन वायरल होने से पहले ही स्थिति संभाल ली। चुनाव के लिए सरकार , संगठन और संघ तीनोंं ने चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। प्रारंभिक प्रारंभिक के मुताबिक तीनों ने अपने अपने काम संभाल लिए है। सरकार के पास मेट्रो और लाडली बहना योजना, संगठन के पास नाराजों को मनाना और खाली पदों पर नियुक्तियां करना और संघ के पास जिलों ंमें जाकर भाजपा की नींव मजबूत करना है।

सरकार का गेमचेंजर

लाडली बहना योजना और मेट्रो रेल प्रोजेक्ट

प्रदेश में बेटियों के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और लाडली लक्ष्मी योजना लागू करके मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मामा के नाम से लोकप्रिय हुए और उन्होंने इस दोनों योजानओं के सहारे चुनावों में जमकर लाभ कमाया। अब मुख्यमंत्री ने प्रदेश की महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना लाकर एक बड़ा दाव खेला है जो गेमचेंजर साबित हो सकता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री के पास एक और बड़ा दाव है और वो है मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट। सरकार की कोशिश है कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले वह इंदौर – भोपाल के शहर वासियों को तोहफा दे सके। ऐसे में काम में तेजी लाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वहीं अगर किसी स्थिति मेंलोगों के लिए मेट्रो सुविधा शुरू नहीं हो पाई तो कम से कम मेट्रो का ट्रॉयल रन जरूर शुरू हो जाए। इस पर सरकार का पूरा फोकस है।

संगठन का अभियान

नाराजो की मनाना ओर नियुक्तियां करना

निगम चुनाव में दावेदार को टिकिट नहीं देने , जीते हुए पार्षदों तथा पदाधिकारियों को नजर अंदाज करने तथा कार्यकर्ताओं की पूछपरख नही करने पर ये सभी नेता पार्टी से नाराज चल रहे है। इनकी नाराजगी की वजह से ही सरकार ओर संगठन में समन्वय का अभाव साफ झलक रहा है। हाल ही में संगठन ने कुछ जिलो में नई नियुक्तियां करके सरकार के साथ सही तालमेल बिठाने का प्रयास किया है। इसी प्रकार संगठन में पार्टी के 14 दिग्गज नेताओं को अलग-अलग जिलों में भेजकर चुनावी बैठक करने तथा नाराजो को मनाने का काम सौंपा है। ये सारी नियुक्तियां चुनावी रणनीति के तहत की जा रही है।

संघ की सबसे खास बात

परदे के पीछे रहकर भाजपा को ताकत देना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अनुशासन के मामले में सबसे सक्रिय संस्था मानी जाती है। संघ की सबसे खास बात यह है कि यह कभी भी खुले तौर पर चुनावी गतिविधियों में हिस्सेदारी नहीं लेता। चुनाव के दौरान परदे के पीछे रहकर भाजपा को ताकत देता है और सरकार बनाने में मदद करता है। इसी साल होने वाले चुनाव को लेकर संघ प्रमुख अभी से एक्टिव हो गए है। उन्होंने प्रदेश में संघ की गतिविधियां भी बढ़ा दी है। इसी महीने वे प्रदेश के चार अलग-अलग क्षेत्रों में आ चुके हैं। वे भोपाल, इंदौर , बुरहानपुर और जबलपुर का दौरा कर चुके हैं। परदे के पीछे रहकर भाजपा के लिए नई नई रणनीतियां तैयार करता है। सरकार बनने के बाद भी संघ की भूमिका सबसे खास मानी जाती है।