Navratri Special: शारदीय नवरात्र के पहले दिन हरसिद्धि मंदिर में लगा भक्तो का ताँता, जानिए माँ की महिमा और मंदिर के रहस्य

pallavi_sharma
Published:

मां आदिशक्ति दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज दो शुभ योगों में हो रहा है. कैलाश से हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने मायके धरती पर पधार रही हैं.शारदीय नवरात्र में उज्जैन स्थित शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर में सुबह सात बजे घटस्थापना हुई। नवरात्र के पहले दिन यहां माता का आशीर्वाद लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन शाम को 7 बजे दीप मालिका प्रज्वलित की जाएगी। इसके बाद संध्या आरती होगी। शहर के अन्य देवी मंदिरों में भी उत्सव मनाया जाएगा। हरसिद्धि मंदिर के पुजारी राजेश गोस्वामी ने बताया शक्तिपीठ में सुबह 7 बजे अमृत के शुभ चौघड़िए में घट स्थापना की गई। नौ दिन तक माता का नित नया शृंगार किया जाएगा। नवरात्र के नौ दिन मंदिर में दीप मालिका प्रज्वलित की जाती हैं।

हरसिद्धि है एक शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित हरसिद्धि देवी का मंदिर देश की शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि सती के अंग जिन 52 स्थानों पर अंग गिरे थे, वे स्थान शक्तिपीठ में बदल गए और उन स्थानों पर नवरात्र के मौके पर आराधना का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि सती की कोहनी उज्जैन में जिस स्थान पर गिरी थी, वह हरसिद्धि शक्तिपीठ के तौर पर पहचानी जाती है। उज्जैनी महाकाली का मंदिर उज्जैन मध्य प्रदेश में स्थित है। यह 51 शक्तिपीठो में से एक है और इस मंदिर को हर सिद्धि माता के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में माँ काली की मूरत के दाये बांये लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तिया है। महा काली की मूरत गहरे लाल रंग में रंगी हुई है | माँ का श्री यन्त्र भी मंदिर परिसर में लगा हुआ है। कहा जाता है है सती माँ का बांया हाथ या उपरी होठ या दोनों इस जगह गिरे थे और इस शक्ति पीठ की स्थापना हुई थी। इसी जगह महा कवि काली दास ने माँ के प्रशंसा में काव्य रचना की थी।

विक्रमादित्य की आराध्य देवी 

सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी मां हरसिद्धि के दरबार में नवरात्र का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां हरसिद्धि का आशीर्वाद लेने के लिए आ रहे हैं. माता हरसिद्धि का मंदिर 51 शक्ति पीठ में शामिल है और यहां पर पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.

Navratri Special: शारदीय नवरात्र के पहले दिन हरसिद्धि मंदिर में लगा भक्तो का ताँता, जानिए माँ की महिमा और मंदिर के रहस्य

विक्रमादित्य ने 11 बार चढ़ाया सिर
सम्राट विक्रमादित्य माता हरसिद्धि के परम भक्त थे। हर बारह साल में एक बार वे अपना सिर माता के चरणों में अर्पित कर देते थे, लेकिन माता की कृपा से पुन: नया सिर मिल जाता था। बारहवीं बार जब उन्होंने अपना सिर चढ़ाया तो वह फिर वापस नहीं आया। इस कारण उनका जीवन समाप्त हो गया। आज भी मंदिर के एक कोने में 11 सिंदूर लगे मुण्ड पड़े हैं। कहते हैं ये उन्हीं के कटे हुए मुण्ड हैं।

Navratri Special: शारदीय नवरात्र के पहले दिन हरसिद्धि मंदिर में लगा भक्तो का ताँता, जानिए माँ की महिमा और मंदिर के रहस्य

महाकाल के पीछे है माता का दरबार
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पीछे स्थित मां हरसिद्धि का दरबार देशभर के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है. हरसिद्धि के दरबार में नवरात्रि पर्व के दौरान माता को हजारों दीपक आरती की जाती है. हरसिद्धि मंदिर के पुजारी राजू गुरु बताते हैं कि भक्त मंदिर में आकर माता के सामने मनोकामना रखते हैं और जब उनकी मनोकामना पूरी होती है तो वे दीप प्रज्वलन के जरिए माता की आराधना करते हैं. नवरात्रि पर्व के दौरान देशभर के श्रद्धालुओं में दीप प्रज्वलित करवाने को लेकर होड़ सी मची रहती है. पंडित राजू गुरु के मुताबिक हरसिद्धि मंदिर में सम्राट विक्रमादित्य जब राग भैरवी गाते थे तो दीप अपने आप प्रज्वलित हो जाते थे. वर्तमान समय में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को लेकर दीप प्रज्वलित करते हैं. नवरात्रि पर्व के दौरान विशेष रुप से श्रद्धालु माता से आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.

Navratri Special: शारदीय नवरात्र के पहले दिन हरसिद्धि मंदिर में लगा भक्तो का ताँता, जानिए माँ की महिमा और मंदिर के रहस्य

51 फीट ऊंचे दीप स्तंभ

मान्यताओं के अनुसार दीप जलाने का सौभाग्य हर व्यक्ति को प्राप्त नहीं होता है, कहा जाता है की जिस किसी को भी यह मौका मिलता है वह बहुत ही भग्याशाली माना जाता है। वहीं मंदिर के पुजारी का कहना है की स्तंभ दीप को जलाते हुए अपनी मनोकामना बोलने पर पूरी हो जाती है। हरसिद्धि मंदिर के ये दीप स्तंभ के लिए हरसिद्धि मंदिर प्रबंध समिति में पहले बुकिंग कराई जाती है। जब भी कोई प्रमुख त्यौहार आते हैं जैसे- शिवरात्रि, चैत्र व शारदीय नवरात्रि, धनतेरस व दीपावली पर दीप स्तंभ जलाने की बुकिंग तो साल भर पहले ही श्रृद्धालुओं द्वारा करवा ली जाती है। कई बार तो श्रृद्धालुओं की बारी महीनों तक नहीं आती। पहले के समय में चैत्र व शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि तथा प्रमुख त्योहारों पर ही दीप स्तंभ जलाए जाते थे, लेकिन अब ये दीप स्तंभ हर रोज़ जलाए जाते हैं।

Navratri Special: शारदीय नवरात्र के पहले दिन हरसिद्धि मंदिर में लगा भक्तो का ताँता, जानिए माँ की महिमा और मंदिर के रहस्य