उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में तेजी आ गई है। इस बीच लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या 2027 में योगी आदित्यनाथ फिर मुख्यमंत्री बनेंगे या बीजेपी किसी नए चेहरे को पेश करेगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बीजेपी पहले भी ऐसे अप्रत्याशित बदलाव कर चुकी है। यूपी में मुख्यमंत्री को लेकर लगातार चर्चाएँ और विवाद सुनने को मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार RSS ने इस मसले पर पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट और कड़ा संदेश भेजा है।
RSS की हर मुद्दे पर सक्रिय भूमिका
इसके साथ ही RSS ने स्पष्ट किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह हर चरण में सक्रिय भूमिका निभाएगी। टिकट वितरण से लेकर यूपी में उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों तक, RSS इस प्रक्रिया में दखल देगी। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान RSS और BJP के बीच मतभेद सामने आए थे, जिसका असर भी दिखाई दिया। अब RSS ने साफ कर दिया है कि दोनों पक्षों के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है। लखनऊ में इस संबंध में दो महत्वपूर्ण बैठकें हुईं—पहली में संगठन मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए, जबकि दूसरी बैठक BJP कार्यालय में हुई, जिसमें मुख्यमंत्री के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री भी मौजूद थे।
लखनऊ में RSS और BJP की अहम बैठक
दरअसल, यूपी में केशव प्रसाद मौर्य की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए कयास लगाए जाने लगे थे कि शायद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट खतरे में पड़ सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, 2 दिसंबर को लखनऊ में RSS और BJP की एक बैठक हुई, जिसका एजेंडा RSS ने तय किया। बैठक में RSS ने स्पष्ट कर दिया कि 2027 का विधानसभा चुनाव केवल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और जो भी उनके नेतृत्व पर सवाल उठाएगा, उसे पार्टी विरोधी और बागी माना जाएगा। RSS ने यह संदेश सिर्फ राज्य स्तर के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भी दिया। बैठक के बाद यह साफ हो गया कि 2027 का चुनाव योगी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।









