45 साल के नितिन नबीन को मिली BJP की कमान, अब भी 83 वर्षीय खरगे के भरोसे कांग्रेस, अनुभव पर भारी पड़ेगा युवा जोश

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By Raj RathorePublished On: December 15, 2025

भारतीय राजनीति में नेतृत्व की उम्र और अनुभव के बीच का संतुलन हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बड़ा संगठनात्मक फेरबदल करते हुए बिहार के पथ निर्माण मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन को अपना नया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। महज 45 साल की उम्र में नबीन को मिली यह जिम्मेदारी बीजेपी की भविष्य की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

नितिन नबीन इस पद पर जेपी नड्डा की जगह लेंगे। दूसरी ओर, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का नेतृत्व 83 वर्षीय मल्लिकार्जुन खरगे कर रहे हैं। इन दो नियुक्तियों के बीच उम्र का यह बड़ा अंतर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के विजन और कार्यशैली को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

पीढ़ीगत बदलाव की ओर बीजेपी

बीजेपी का यह फैसला एक स्पष्ट ‘जनरेशनल शिफ्ट’ यानी पीढ़ीगत बदलाव का संकेत है। नितिन नबीन दिवंगत बीजेपी नेता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र हैं और उनकी पहचान एक युवा व गतिशील नेता के रूप में है। पार्टी के संसदीय बोर्ड ने उनकी नियुक्ति को ‘समर्पण और जमीनी काम’ का इनाम बताया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी 2030 के दशक के लिए नेतृत्व तैयार कर रही है। यह पार्टी की मेरिट-आधारित प्रमोशन संस्कृति को भी दर्शाता है। इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किरेन रिजिजू, अनुराग ठाकुर, तेजस्वी सूर्य और के. अन्नामलई जैसे युवा चेहरों को आगे बढ़ाया है। पार्टी के आईटी सेल और युवा मोर्चा में भी 30 से 40 साल के नेताओं की सक्रियता ज्यादा है।

कांग्रेस में ‘अनुभव’ बनाम ‘युवा जोश’

कांग्रेस में स्थिति इसके विपरीत नजर आती है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का जन्म 1942 में हुआ था और वे 2022 से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। उनका पांच दशकों का अनुभव, कर्नाटक से लेकर केंद्र तक मंत्री पद संभालने का रिकॉर्ड और संसदीय ज्ञान निर्विवाद है। गांधी परिवार के बाद वे पार्टी के सबसे वरिष्ठ और सर्वमान्य नेता हैं।

हालांकि, कांग्रेस पर अक्सर ‘पुरानी पीढ़ी की पार्टी’ होने का आरोप लगता रहा है। 55 वर्षीय राहुल गांधी और 53 वर्षीय प्रियंका गांधी को पार्टी के युवा चेहरों में गिना जाता है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व का ढांचा अभी भी 70-80 के दशक के नेताओं पर निर्भर है। 79 वर्षीय सोनिया गांधी का प्रभाव अब भी कायम है।

युवा भारत और भविष्य की राजनीति

भारत एक युवा देश है, जहां की 65% आबादी युवा है। ये मतदाता डिजिटल तकनीक, रोजगार और इनोवेशन जैसे मुद्दों पर फोकस करते हैं। ऐसे में 18 से 35 साल के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए युवा नेतृत्व की भूमिका अहम हो जाती है। नितिन नबीन की उम्र उन्हें सोशल मीडिया, ग्रासरूट कैंपेन और नए वोटर्स से जुड़ने में मदद करती है।

कांग्रेस के पास भी युवा कांग्रेस और NSUI के जरिए कन्हैया कुमार या ज्योत्सना सिद्धार्थ जैसे चेहरे हैं, लेकिन उन्हें शीर्ष जिम्मेदारियां मिलने में लंबा वक्त लगता है। सवाल यह भी उठता है कि क्या खरगे का नेतृत्व 2029 तक पार्टी को वह गति दे पाएगा जिसकी उसे जरूरत है?

अनुभव की अपनी ताकत

हालांकि, राजनीति में केवल उम्र ही सफलता का पैमाना नहीं है। खरगे ने अपने अनुभव से कांग्रेस को एकजुट रखा है, जिसका परिणाम 2024 के चुनावों में 99 सीटों की जीत के रूप में दिखा। अमेरिका में 82 साल के जो बाइडेन का राष्ट्रपति बनना भी अनुभव की जीत का उदाहरण था, हालांकि बाद में उनकी उम्र ही डेमोक्रेट्स के लिए चिंता का विषय बन गई।

कुल मिलाकर, बीजेपी ने नितिन नबीन के जरिए भविष्य का रोडमैप तैयार कर लिया है, जबकि कांग्रेस फिलहाल अनुभव के सहारे स्थिरता तलाश रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस भी बीजेपी से सीख लेते हुए संगठन में युवाओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपेगी या अपने पुराने ढर्रे पर ही कायम रहेगी।