मध्य प्रदेश ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अनूठी पहल की है, जो अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। प्रदेश में नेशनल हाईवे-45 पर भारत की पहली ‘रेड रोड’ (Red Road) की शुरुआत की गई है। यह विशेष सड़क वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसका मुख्य उद्देश्य तेज रफ्तार वाहनों के कारण होने वाली वन्यजीवों की मौत पर लगाम लगाना है।
प्रशासन और वन विभाग के अनुसार, लगभग दो किलोमीटर लंबी इस सड़क को विशेष तकनीक और मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस लाल सड़क का डिजाइन ऐसा है कि वाहन चालक बिना किसी जबरदस्ती या भारी अवरोध के खुद ही अपनी गति धीमी करने पर मजबूर हो जाएगा।
बिना स्पीड ब्रेकर के कम होगी रफ्तार
इस रेड रोड की सबसे बड़ी खासियत इसका रंग और बनावट है। इसमें न तो पारंपरिक भारी-भरकम स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं और न ही ट्रैफिक रोकने वाले कोई बैरिकेड्स हैं। सड़क का लाल रंग और इसकी हल्की उभरी हुई सतह इसे एक ‘टेबल टॉप’ जैसा लुक देती है। यह विजुअल बदलाव ड्राइवरों को सतर्क करता है, जिससे वे स्वाभाविक रूप से ब्रेक पर पैर रखते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिजाइन पारंपरिक स्पीड ब्रेकर की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। इसमें अचानक ब्रेक लगाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे पीछे से आ रहे वाहनों के टकराने का खतरा भी कम हो जाता है। यह न केवल जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि हाईवे से गुजरने वाले यात्रियों के लिए भी सफर को सुरक्षित बनाएगा।
टाइगर रिजर्व के जीवों को मिलेगा जीवनदान
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बाघों के अलावा हिरण, तेंदुआ और कई अन्य दुर्लभ वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है। भोजन और पानी की तलाश में ये जीव अक्सर जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने के लिए हाईवे पार करते हैं। पूर्व में कई बार तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर वन्यजीवों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस लाल सड़क के कारण वाहनों की गति नियंत्रित रहेगी और हादसों में कमी आएगी।
सफल होने पर देश भर में लागू होगा मॉडल
सरकार और वन विभाग इस प्रयोग को वन्यजीव संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण मान रहे हैं। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यदि यह ‘रेड रोड’ का प्रयोग सफल रहता है, तो देश के अन्य हिस्सों में भी इसे अपनाया जा सकता है। विशेषकर उन नेशनल हाईवे पर जो अभयारण्यों या जंगलों के बीच से गुजरते हैं, वहां ऐसी पर्यावरण अनुकूल सड़कें बनाई जा सकती हैं। यह पहल न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश में इको-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर को नई दिशा देगी।










