जिम्मेदारों की लापरवाही ने शहर में डेंगू और मलेरिया की खतरा बढ़ा दिया है। शहर में कई जगह गंदा पानी भरा हुआ है तो कई जगह नियमित सफाई नहीं की जा रही। लिहाजा मच्छर पनपने लगे हैं। ना तो फॉगिंग मशीन से धुआं किया जा रहा है और ना ही दवाई का छिड़काव हो रहा है। सावधानी इसलिए जरूरी है क्योंकि पिछले साल पूरे सीजन में 3 डेंगू के मरीज निकले थे, जबकि इस बार 15 दिन में मरीज सामने आ गए हैं। कोराना की दूसरी लहर कम होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सामने अब डेंगू और मलेरिया है।
सोमवार को सात लोगों में डेंगू की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। हालांकि इन सभी मरीजों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है। जिला मलेरिया अधिकारी डा.दौलत पटेल के मुताबिक बहुत जल्द घर-घर सर्वे शुरू किया जाएगा। विभाग की एंटी लार्वा टीेमें लगातार काम कर रही है। गौरतलब है कि डेंगू कई बार घातक रूप भी ले लेता है। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। डेंगू में शरीर में प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं।इनमें से दो ठीक हो चुके हैं
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डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। खास बात यह है कि यह मच्छर दिन के वक्त काटता है। सुबह के वक्त इसका प्रकोप ज्यादा रहता है। वर्षाकाल इस मच्छर के लिए अनुकूल माना जाता है। इस मौसम में यह मच्छर तेजी से बढ़ता है। डेंगू वर्षा के मौसम और उसके तुरंत बाद के माह जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है। डेंगू के मरीज के रक्त में डेंगू का वायरस होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू पीड़ित किसी व्यक्ति को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। इस खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में खुद को विकसित कर उस व्यक्ति को डेंगू पीड़ित कर देता है।
डेंगू के सामान्य लक्षणों में ठंड लगकर तेज बुखार आना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों में दर्द होना, कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मतलाना, मुंह का स्वाद बिगड़ना, गले में हल्का सा दर्द रहना, शरीर पर हल्के लाल और गुलाबी रंग के निशान पड़ना शामिल हैं।