दीपावली की रात इंदौर की सड़कों पर आम दिनों की तुलना में अधिक कचरा और पटाखों के अवशेष बिखरे नजर आए, लेकिन अगले ही दिन शहरवासियों ने एक बार फिर स्वच्छ और चमकता हुआ इंदौर देखा। नगर निगम ने यह साबित कर दिया कि स्वच्छता में देशभर में आठवीं बार अव्वल आने का दर्जा यूं ही नहीं मिला है। निगम का अमला अलसुबह तीन बजे से ही सफाई अभियान में जुट गया।
मशीनों की मदद से सड़कों की सफाई की गई, जलते हुए कचरे को पानी से ठंडा कर ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाया गया। सुबह सात बजे तक शहर पूरी तरह साफ-सुथरा नजर आया। सफाईमित्रों की महज चार घंटे की मेहनत ने शहरवासियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी।
स्थिति ऐसी थी कि सुबह कई घरों में सफाई नहीं हो पाई, फिर भी पूरा शहर चमकता नजर आया। लोगों ने भी स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी दिखाते हुए घरों से निकले कचरे को सड़कों पर फेंकने के बजाय डस्टबिन में जमा किया। अब यह कचरा बुधवार को नगर निगम के वाहनों को सौंपा जाएगा।
राजवाड़ा से एमजी रोड तक चला सफाई अभियान
सुबह होते ही सफाईकर्मी टीमों ने शहरभर में मोर्चा संभाल लिया। सबसे पहले बाजारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों को प्राथमिकता दी गई। राजवाड़ा, नंदलालपुरा, परदेशीपुरा, अन्नपूर्णा मार्ग और एमजी रोड सहित अन्य क्षेत्रों में बिखरे कचरे को एक जगह इकट्ठा कर वाहनों से कचरा ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाया गया। इस दौरान टीमों ने लगातार यह भी निगरानी रखी कि कहीं कचरा जल तो नहीं रहा है, क्योंकि इससे वाहनों में आग लगने का खतरा रहता था। जहां भी जलता हुआ कचरा मिला, उसे तुरंत पानी डालकर ठंडा किया गया।
त्योहारों में भी स्वच्छता का उदाहरण
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर ऐसा शहर है जो हर त्योहार को स्वच्छता के साथ मनाता है। चाहे होली हो या दीपावली, इंदौर हमेशा चमकता हुआ नजर आता है। हमारे लिए अब स्वच्छता ही एक उत्सव बन गई है। शहरवासियों में स्वच्छता की आदत और जिम्मेदारी दोनों हैं, वे स्वयं भी शहर को साफ-सुथरा बनाए रखते हैं। दीपावली के बाद सफाई को लेकर बनाई गई योजना पूरी तरह सफल रही।
सूखे और गीले कचरे दोनों में हुई वृद्धि
शहर में सामान्य दिनों में लगभग हजार टन सूखा कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन दीपावली पर यह मात्रा बढ़कर करीब 1600 टन तक पहुंच गई। त्योहार के दौरान घरों में हार और फूल-पत्तियों से सजावट की गई थी, जिससे गीले कचरे की मात्रा भी सामान्य दिनों की तुलना में अधिक रही।