महिला स्व-सहायता समूहों से पोषण आहार तैयार कराने की चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समूहों की राज्य स्तरीय पंचायत में दोहराया कि प्रदेश में महिला समूह ही पोषण आहार तैयार करेंगे। लेकिन यह कब होगा इसे लेकर जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, प्रस्ताव तैयार है।
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जल्द ही कैबिनेट की बैठक में चर्चा होगी और साथ ही निर्णय होगा। प्रदेश के तीन लाख 33 हजार स्व-सहायता समूहों की करीब 37 लाख महिलाओं को तीन साल से पोषण आहार तैयार करने की जिम्मेदारी मिलने का इंतजार है। इंतजार इसलिए भी है क्योंकि यह जिम्मेदारी मिलने से उन्हें नया हुनर मिलेगा और आमदनी का जरिया भी।
बता दें प्रदेश में 97 हजार से ज्यादा आंगनवबड़ी केंद्र हैं, जिनमें आने वाले बच्चों, गर्भवती और धात्री माताओं के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग हर साल करीब 1300 करोड़ रुपये का पोषण आहार खरीदता है। करीब डेढ़ दशक से यह व्यवस्था प्रदेश के चंद ठेकेदार संभाल रहे हैं।
वर्ष 2017 में शिवराज सरकार ने ठेकेदार प्रथा खत्म करते हुए महिला स्व-सहायता समूहों से पोषण आहार तैयार कराने का निर्णय लिया था प्रदेश में सात नए सरकारी पोषण आहार प्लांट (धार, देवास, होशंगाबाद, सागर, मंडला, शिवपुरी और रीवा) भी खोले गए, पर समूहों की महिलाओं को अब तक काम नहीं मिला है।
वहीं शिवराज सरकार ने वर्ष 2017 में पोषण आहार स्व-सहायता समूह की महिलाओं से तैयार कराने का निर्णय लिया था। सरकार की योजना अक्टूबर 2018 में प्लांट तैयार करने की थी, पर सभी प्लांट के निर्माण और मशीनों को लगाने में देरी हुई। वर्ष 2019 में सात में से पांच प्लांट तैयार हुए, तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी। आखिर ठेकेदारों के संपर्क काम आए और समूह की महिलाओं को तकनीकी रूप से अक्षम बताते हुए प्लांट एमपी एग्रो को सौंप दिए गए थे।
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