Shani pradosh vrat: शनि प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Pinal Patidar
Published on:
Pradosh Vrat 2021

Shani pradosh vrat:  शनिवार को दिन शनि देव को समर्पित है। लेकिन इस बार शनिवार को शनि देव के साथ साथ शिव जी को भी प्रसन्न करने का शुभ संयोग बनने जा रहा है। पंचांग के अनुसार 18 सितंबर शनिवार यानि आज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि को प्रदोष व्रत के रूप जानते हैं।

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भाद्रपद यानि भादो का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। इसके साथ ही शनि देव की पूजा के लिए विशेष माना गया है। इससे आपके जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति प्राप्तो होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और लाभ…

शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त-
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि आरंभ- 18 सितंबर 2021 दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 54 मिनट से
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त- 19 सितंबर 2021 दिन रविवार को सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम को 06 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 44 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा की जा सकती है।
पूजा का कुल समय- 02 घंटे 21 मिनट

शनि प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आपके घर में सुख समृद्धि आती है और जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। इसी के साथ शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है। शनिदेव की कृपा से जीवन में तरक्की प्राप्त होती है और आपकी नौकरी, व्यापार और आर्थिक स्थिति में उन्नति होती है। मान्यता है कि नियम पूर्वक प्रत्येक प्रदोष करने से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं और इस जीवन के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
-प्रदोष व्रत का पूजन प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के लगभग पौने घंटे यानी 45 मिनट पहले आरंभ कर दिया जाता है।
-त्रयोदशी तिथि को प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
-इसके बाद भगवान शिव के सामने धूप दीप प्रज्वलित करें।
-संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
-अब  बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें।
-पूजन के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप करते रहें।
-पूजन पूर्ण होने के बाद शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं इससे शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
-शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष या पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।

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