कर्नाटक: सरकार के खिलाफ रिजिडेंट डॉक्टर्स का विरोध प्रदर्शन, लाखों की फीस के बाद भी ले रहे सेवाएं

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बैंगलोर। कर्नाटक के रेजिडेंट डॉक्टर सरकार के खिलाफ सांकेतिक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वह सरकार को यह बताना चाहते हैं, कि सरकार का यह कहना गलत है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग में कमियां हैं। वही, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का दावा है कि, सरकार लगातार कोरोना से संबंधित कामों में उनकी ड्यूटी लगा रही है, जिसकी वजह से उनके पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में ध्यान नहीं लग पा रहा है। हालांकि वह पढ़ाई के लिए लाखों रुपए फीस दे रहे हैं, इसके बावजूद दूसरी गतिविधियों की वजह से उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पा रही है।

दरअसल, बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन में शामिल एक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर नम्रता ने मीडिया से कहा कि, सभी पोस्ट-ग्रेजुएट, पिछले नौ महीनों से कोविद से संबंधित सेवाएं दे रहे हैं, उनका शोषण किया जा रहा है। वही, प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स का कहना है कि, कोरोना संबंधित कामों के लिए दूसरे डॉक्टर्स को नियुक्त नहीं किया गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि, वह यहां सीखने के लिए आए हैं, लेकिन उन्हें काम के बोझ तले दबा दिया गया है। जिसकी वजह से उनका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है।

प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स ने कहा कि, महामारी के बाद से प्रदेश में हर दिन लगने वाली क्लासेस पूरी तरह से बंद हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि, यहां कोविड के अलावा कुछ भी नहीं सिखाया जा रहा है। वह अपनी सर्जिकल स्किल्स और कौशल के बारे में चिंतित हैं। उनका कहना है कि, सरकार पोस्ट-ग्रेजुएट्स के भविष्य के बारे में सोचने में नाकाम रही है। उन्होंने पिछले 9 महीनों में कुछ भी नहीं सीखा है, लेकिन फिर भी उन्हें सरकार को लाखों में फीस भरनी पड़ रही है।

वही, कर्नाटक एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष डॉ. दयानंद सागर ने कहा कि, डॉक्टर अकादमिक गतिविधि न होने के बावजूद भी लाखों में फीस भर रहे हैं। उनका कहना है कि, जब सरकार स्कूलों और अन्य शैक्षिक प्रतिष्ठानों के लिए फीस माफ कर सकती है, तो उनसे लाखों का भुगतान क्यों लिया जा रहा है। उन्होंने कि, डॉक्टर्स पोस्ट-ग्रेजुएट के लिए एक लाख बीस हजार, सुपर स्पेशियलिटी के लिए दो लाख बीस हजार ले रही है। वह लगातार कोरोना संबंधित काम कर रहे है, फिर उनसे फीस का भुगतान क्यों लिया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि, लागत में कटौती के लिए सरकार उनकी सेवाओं का उपयोग कर रही है। सरकार कह रही है कि, वे इंटर्नशिप को और 3 महीने तक बढ़ाएंगे। कम कीमत पर काम कराने के लिए यह सरकार की सिर्फ एक चाल है। इसे और बढ़ाने की अब कोई जरूरत नहीं है।

साथ ही प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स का कहना है कि, सरकार उनकी सेवाओं को नहीं देख रही है, जब कि उनमें से बहुत से लोग लगातार वायरस की चपेट में आ रहे हैं। हड़ताल कर रहे डॉक्टर्स अब सरकार से कोविड भत्ते की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी डॉ. सागर ने कहा कि, डॉक्टर्स को अब कोविद भत्ता चाहिए। कर्नाटक में करीब 700 रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना वायरस से प्रभावित हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार उन पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उनके लिए कोई राशि नहीं तय की गई है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि, सरकार को जो भी ठीक लगे, डॉक्टर्स को देना चाहिए।

उन्होंने बताया कि, राज्य भर में कुछ रेजिडेंट डॉक्टर को पिछले 5 से 6 महीने तक वजीफा नहीं दिया गया। बता दें कि, प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स हाथ में खाली नारियल लेक सरकार के खिलाफ सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे हैं।