मंत्री विजय शाह की फिर फिसली जबान, कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बोले अमर्यादित बोल

मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में हैं, उन्होंने सेना की अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इससे पहले भी वह 2013 में विवादित बयान के चलते मंत्री पद गंवा चुके हैं, लेकिन बाद में फिर से कैबिनेट में शामिल किए गए थे।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री विजय शाह एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने भारतीय सेना की जांबाज अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भाग लेकर देशभर में प्रशंसा पा रही कर्नल कुरैशी के साहस को जहां पूरा देश सलाम कर रहा है, वहीं मंत्री शाह की टिप्पणी ने सियासी और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है।

मानपुर (महू विधानसभा क्षेत्र) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विजय शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी जी समाज के लिए जी रहे हैं और समाज के लिए ही अपना जीवन कुर्बान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि “जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे, उन्हीं पर हमने उनकी बहन को भेज कर उनकी ऐसी की तैसी कर दी”। उन्होंने (आतंकवादियों ने) हमारे हिंदुओं को कपड़े उतारकर मारा और मोदी जी ने उनकी बहन (कर्नल सोफिया कुरैशी) को उनके घर भेजकर उन्हें मरवाया।

पहले भी ऐसे विवादों से घिर चुके हैं मंत्री विजय शाह

विजय शाह का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2013 में उन्होंने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी, साधना सिंह, पर डबल मीनिंग टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “भैय्या के साथ तो रोज जाती हो, कभी देवर के साथ भी चली जाया करो।” इस बयान के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

2013 के इस बयान के बाद जब विरोध तेज हुआ तो विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि वह “दस बार क्षमा चाहते हैं” और उनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि यह बात मजाक में कही गई थी। इसके बावजूद पार्टी पर दबाव बढ़ा और उन्हें मंत्री पद से हटाया गया।

विवादों के बावजूद बना रहा राजनीतिक रसूख

हालांकि मंत्री शाह ज्यादा दिन तक कैबिनेट से बाहर नहीं रहे। आदिवासी समाज में उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें चार महीने बाद ही पुनः मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया गया। पार्टी को आशंका थी कि उन्हें अलग करने से आदिवासी वोट बैंक खिसक सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शाह को माफ करते हुए उनके बयान को “हास-परिहास” की श्रेणी में डाल दिया था।