अगले 16 घंटों में इन राज्यों में आंधी और बिजली गिरने के साथ होगी मूसलाधार बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

Author Picture
By Raj RathorePublished On: August 12, 2025
MP Weather Update

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार अगले 16 घंटों में उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में तेज से बहुत तेज वर्षा के आसार हैं। विशेष रूप से 12 अगस्त को उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में, तथा 12 अगस्त को ही अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के कुछ हिस्सों में अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है। इन इलाकों में बारिश के साथ तेज हवाएं और गरज-चमक की भी स्थिति बन सकती है।

उत्तराखंड, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश का दौर

आईएमडी के अनुसार 12 से 17 अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में, 12 से 15 अगस्त तक उत्तर प्रदेश में और 12 से 14 अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। उत्तराखंड में 12, 14 और 17 अगस्त को, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 12, 13 और 14 अगस्त को वर्षा की तीव्रता अधिक हो सकती है। इस अवधि में भूस्खलन, नदियों का जलस्तर बढ़ने और यातायात बाधित होने की आशंका भी है।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ और बिहार में भी तेज बारिश

12 से 17 अगस्त के दौरान पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ क्षेत्र में लगातार भारी वर्षा का दौर बना रहेगा। छत्तीसगढ़ में भी इस अवधि में जोरदार बारिश की संभावना है। 12 अगस्त को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी अच्छी बारिश हो सकती है। बिहार में 12 से 14 अगस्त तक भारी से बहुत भारी वर्षा की चेतावनी है, जबकि 12 और 13 अगस्त को ओडिशा के कई हिस्सों में तेज बारिश के साथ वज्रपात की संभावना है।

झारखंड में गरज-चमक के साथ बारिश

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 12 अगस्त को झारखंड के कई जिलों में गरज-चमक के साथ वर्षा हो सकती है। इसको देखते हुए विभाग ने राज्य में ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है। तेज हवाएं चलने और बिजली गिरने का भी खतरा बना रहेगा, ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

दक्षिण भारत में भी भारी वर्षा के संकेत

तेलंगाना में 12 से 17 अगस्त के बीच तेज बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में 12 और 13 अगस्त को वर्षा के अच्छे आसार हैं। केरल में 12 अगस्त को कई स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न होने का खतरा है।