मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार राज्य के पेंशन नियमों में अहम बदलाव करने जा रही है। अब तक केवल 25 साल तक की अविवाहित बेटियां ही परिवार पेंशन की पात्र होती थीं, लेकिन अब इस उम्र सीमा को हटाने का निर्णय लिया गया है। संशोधित नियम के तहत अब 25 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित बेटी भी, जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती, परिवार पेंशन की हकदार बनी रहेगी।
यही नहीं, सरकार ने विधवा और पति द्वारा त्यागी गई (परित्यक्ता) बेटियों को भी पेंशन की स्थायी पात्रता देने का निर्णय लिया है। इस दिशा में वित्त विभाग ने नए नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है और उम्मीद की जा रही है कि जून-जुलाई 2025 में यह संशोधन लागू कर दिया जाएगा।

केंद्र सरकार की तर्ज पर मिलेगा लाभ
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पहले ही 28 अप्रैल 2011 को केंद्र कर्मचारियों के लिए यह नियम लागू किया था, जिसके तहत 25 वर्ष से अधिक उम्र की अविवाहित बेटियों, विधवाओं और परित्यक्ताओं को पेंशन का अधिकार दिया गया था। काफी समय से इस व्यवस्था को मध्य प्रदेश में भी लागू करने की मांग की जा रही थी। अब राज्य सरकार ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है, जिससे लाखों परिवारों को राहत मिलने की संभावना है।
आयोग की सिफारिश के बाद मिली मंजूरी
इस बदलाव के पीछे रिटायर्ड आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल की अध्यक्षता वाले कर्मचारी आयोग की अनुशंसा भी एक महत्वपूर्ण कारण रही है। आयोग ने राज्य के पेंशन नियमों में संशोधन कर आश्रित अविवाहित बेटियों की पात्रता आयु बढ़ाने के साथ-साथ विधवा और परित्यक्ता बेटियों को भी परिवार पेंशन की दायरे में लाने की सिफारिश की थी। यह रिपोर्ट अब वित्त विभाग को सौंप दी गई है और उस पर अंतिम मुहर लगने की प्रक्रिया चल रही है।
नए नियम से समाज के वंचित वर्ग को राहत
संशोधित नियम खासतौर पर उन महिलाओं के लिए राहत लेकर आएगा जो जीवन में किसी कारणवश अकेली रह जाती हैं। अब उन्हें भी आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और वे अपने जीवनयापन के लिए सरकार की मदद पर भरोसा कर सकेंगी। यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा निर्णय माना जा रहा है।