निर्मल उपाध्याय और महेंद्र गगन पीछे छोड़ गए अपना रचना कर्म

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अर्जुन राठौर

कोरोना महामारी ने देशभर के अनेक पत्रकारों और लेखकों को छीन लिया अभी-अभी खबर आई कि महेंद्र गगन और निर्मल उपाध्याय हमारे बीच नहीं रहे इन दोनों से मेरी मुलाकात होती रहती थी । महेंद्र गगन 70 के दशक में इंदौर में ही रहते थे और उन दिनों वे नवोदित कवियों में जाने जाते थे उनसे अक्सर मेरी मुलाकात होती थी और हम लोग इंदौर के जाने-माने लेखक सूर्यकांत नागर जी के निवास पर जाया करते थे इसके अलावा दादा कृष्णकांत निलोसे जी का घर भी हमारे रचना कर्म का प्रमुख केंद्र था ।

महिंद्र गगन बाद में भोपाल चले गए जहां के वे मूल निवासी थे उन्होंने वहां पर पहले पहल नामक साप्ताहिक अखबार का संपादन संभाला और इसके बाद वे इसके माध्यम से पत्रकारिता करने लगे इसी बीच उनके अनेक संग्रह भी प्रकाशित हुए महेंद्र गगन ने पहले पहल अखबार को एक नई ऊंचाई दी थी । भोपाल में जब भी जाता तब उनसे मेरी मुलाकात हो जाती थी बाद में उन्होंने प्रेस काम्प्लेक्स से इसका प्रकाशन प्रारंभ कर दिया था । महेंद्र गगन बहुत अच्छे कवि भी थे । वे अपने पीछे अपना रचना कर्म छोड़ गए हैं जो हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा ।

पूर्व डिप्टी कमिश्नर श्री निर्मल उपाध्याय एक बहुत अच्छे कवि थे और लेखक भी। इंदौर कलेक्टर कार्यालय में उपाध्याय जी तहसीलदार थे और उनसे इसी दौरान मेरी मुलाकात थी वे बड़े सरल ह्रदय व्यक्ति थे उनके व्यवहार से ऐसा लगता नहीं था कि वे प्रशासनिक सेवा में है जब तक वे कलेक्टर कार्यालय में रहे उनके कार्यालय में पत्रकारों की भीड़ लगी रहती थी । बाद में वे इंदौर के डिप्टी कमिश्नर भी बने और उसके बाद रिटायर हो गए लेकिन रिटायरमेंट के तत्काल बाद उनका रचना कर्म सामने आया वे बहुत अच्छी कविताएं और लेख लिखा करते थे उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई उन दिनों घमासान डॉट कॉम में भी उनके अनेक आलेख तथा कविताएं प्रकाशित हुई थी । निर्मल उपाध्याय भी अपने पीछे एक बहुत बड़ा रचना कर्म छोड़कर गए हैं ।