कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी उपचुनावों में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह है कि पार्टी अब गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी (सपा) को ही चुनाव लड़ने की पूरी छूट देगी। इस फैसले के तहत कांग्रेस को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर सपा से गठबंधन के तहत उम्मीदवार मिल चुके थे, लेकिन पार्टी ने अब इन दोनों सीटों पर चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है।
सीटों पर जीत की संभावना कम
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर अपनी जीत की संभावनाओं को बेहद कम पाया है। इसके बाद पार्टी ने यह फैसला लिया कि सपा इन सीटों पर चुनाव लड़े, क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि इन सीटों पर वर्तमान में उसे सफलता प्राप्त करने का कोई मजबूत आधार नहीं है।
महाराष्ट्र चुनाव के सन्दर्भ में गठबंधन की रणनीति
कांग्रेस के इस फैसले को महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों से भी जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि इस फैसले के पीछे महाराष्ट्र चुनावों का भी एक महत्वपूर्ण कारण है। कांग्रेस चाहती है कि सपा, महाराष्ट्र में भी चुनाव में कम सीटों पर लड़े या फिर न लड़े, और इसके बदले उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में सपा को पूरा समर्थन दे। इस रणनीति के तहत कांग्रेस ने सपा को यह ऑफर दिया है, हालांकि सपा की ओर से इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सपा को मिल सकती है पूरी छूट
कांग्रेस के इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी अब उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इससे पहले, सपा ने सात सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन अब कांग्रेस की मंशा के अनुसार सपा सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर सकती है।
उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें मैनपुरी की करहल, प्रयागराज की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर की सीसामऊ, अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सीट शामिल हैं। इनमें से सभी सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है, सिवाय कुंदरकी सीट के, जहां पर सपा ने फिलहाल कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।