साहित्य

कहो तो कह दूँ = तुम्हारी सहेली तो बहुत हसीन है

कहो तो कह दूँ = तुम्हारी सहेली तो बहुत हसीन है

By Ayushi JainOctober 26, 2020

चैतन्य भट्ट एक तो लोग बाग़ कोरोना से हलाकान हैं, न कोई किसी के घर जा रहा है न कोई किसी के घर आ रहा है, अगर भूले भटके कोई

राज-काज

राज-काज

By Shivani RathoreOctober 26, 2020

@दिनेश निगम ‘त्यागी’भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त नहीं, आशंकित…. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा के नेताओं का दावा है कि उप चुनावों में वह सभी 28 सीटें

मुस्लिम जगत की कश्मकश पर ताजा किताब-‘उफ ये मौलाना’

मुस्लिम जगत की कश्मकश पर ताजा किताब-‘उफ ये मौलाना’

By Akanksha JainOctober 24, 2020

दिल्ली। पत्रकार-लेखक विजय मनोहर तिवारी की ताजा किताब ‘उफ ये मौलाना’ छपकर आ रही है। गरुड़ प्रकाशन की ओर से इसकी घोषणा की गई है। चार सौ बीस पेज की

मनाचे स्मृति पुस्तक के अनावरण समारोह संपन्न

मनाचे स्मृति पुस्तक के अनावरण समारोह संपन्न

By Akanksha JainOctober 22, 2020

समाज को दिशा देने तथा  दैनंदनी की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान देने के लिए मराठी गुरु रामदास स्वामी के द्वारा प्रतिपादित ‘मनाचे श्लोक’ आज भी प्रासंगिक माने जाते हैंl  मिनल

मुहावरे कुछ कह रहे

मुहावरे कुछ कह रहे

By Shivani RathoreOctober 20, 2020

कुछ भी कितना भी करलोस्वयं को नही कर सकते सिद्धघर का जोगी जोगड़ा होता हैऔर अन्य गांव का होता है सिद्ध दूर के ढोल सुहाने लगते हैये मेरी नही हम

अपने बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनाइये और समृद्ध भारत के निर्माण में दें अपना योगदान

अपने बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनाइये और समृद्ध भारत के निर्माण में दें अपना योगदान

By Shivani RathoreOctober 19, 2020

अपने बेटे को एक अच्छा नागरिक, अच्छा पति, अच्छा दामाद बनने की शिक्षा दे और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना योगदान दें । अपनी बेटी को वैसी ही

रंगनाथन की पुण्यतिथि पर स्थापित हो रहा “सदाशिव कौतुक भाषा उन्नयन सम्मान”

By Ayushi JainOctober 19, 2020

साहित्य जगत के समस्त साथियों को सूचित किया जाता है कि इंदौर संभाग पुस्तकालय संघ द्वारा साहित्य जगत में भाषा के प्रति लगाव, लेखन एवं पठन-पाठन में नियमित रूचि बनी

संजीव ! तुम इस तरह नहीं जा सकते

संजीव ! तुम इस तरह नहीं जा सकते

By Ayushi JainOctober 17, 2020

राजेश बादल कभी तड़के चार बजे मैं फ़ोन नहीं देखता। आज नींद टूट गई। बहुत कोशिश की। फिर नहीं आई। हारकर फ़ोन उठा ही लिया। देखा तो शशि केसवानी का

भूखा बच्चा लिए गोद में लिए कोलकाता में हुई “प्रवासी मां” की प्रतिमा स्थापित

भूखा बच्चा लिए गोद में लिए कोलकाता में हुई “प्रवासी मां” की प्रतिमा स्थापित

By Shivani RathoreOctober 17, 2020

महामारी ने छीनी रोटीपैदल अपने गांव चली।भूखा बच्चा लिए गोद मेंमैया नंगे पांव चली। छोड़-छाड़ कर शहर-ए-बेदिल,दूर बहुत है उसकी मंज़िल।तन बेदम है, मन है व्याकुल,सहकर कितने घाव चली।…मैया नंगे

सतत 5 घंटे चला कवि सम्मेलन, कविताओं की प्रस्तुति ने मन को कर दिया सैनेटाइज़

सतत 5 घंटे चला कवि सम्मेलन, कविताओं की प्रस्तुति ने मन को कर दिया सैनेटाइज़

By Shivani RathoreOctober 17, 2020

सतत पांच घंटे तक चला कवि सम्मेलन। काव्य रस में डूब गये श्रोता। प्रेस क्लब के सभाकक्ष में अ. भा. कवि सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें देश भर से आए नामचीन

”जाने वाले”…

”जाने वाले”…

By RajOctober 16, 2020

जाना था कि एक दिन जाना होगापर कहाँ, कैसे- कब नहीं जाना था…ऐसे जाओगे इतनी दूर माना नहीं थासोचते ही मन घबराता था …एक अजीब सा शून्य भर जाता…सब विचार

अहम ब्रम्हास्मि

अहम ब्रम्हास्मि

By Shivani RathoreOctober 16, 2020

जोड़ नाता मानवता सेईश्वर मिलेगा सरलता से ।। जो ढूंढ रहा है तू बाहरवो बैठा है तेरे ही भीतरखोल कपाट अंतस केकर दर्शन परमात्मा केजीवन के खेल निरालेकुछ उजले कुछ

मेरा गांव

मेरा गांव

By Shivani RathoreOctober 15, 2020

दूर मेरा गांव हैमन करता हैउड़ के चला जाऊंमाँ तेरे पास आऊमन करता हैमन करता है ।। शहर के कोलाहल सेयहाँ के हलाहल सेकही खो न जाऊडर सा लगता हैअपनी

विहान

विहान

By Shivani RathoreOctober 14, 2020

बंद कमरे कीखिड़कियां खोल दे ,कब तक बैठा रहेगाकुछ गमलों में पौधेउगा कर ।खोल देकपाट अंतस केकर स्वागतप्राची से उदित होतेआदित्य का ,भर जाएगातेरा ह्दयप्रकाश से ।

पुण्यतिथि विशेष : “काल के कपाल” पर अंकित “विचार प्रवाह” स्व गौड़ साहब

By Akanksha JainOctober 13, 2020

14 अक्टूबर प्रथम पुण्यतिथि“काल के कपाल” पर अंकित “विचार प्रवाह” स्व गौड़ साहबअपनी सनातन विचारधारा के लिए शासकीय नौकरी से त्यागपत्र देकर. स्वदेश में पत्रकार के रूप में काम करने

जिंदगी

जिंदगी

By Ayushi JainOctober 13, 2020

चलते चलते राह मेंठहर गई है जिंदगीकांटा बन के पाव मेंचुभ गई है जिंदगी । क्या गुप्तगु करेतुझसे ये मेरे दोस्तजुंबा पत्थर कीबन गई है जिंदगी । बड़ा आसान है

जीवनसंगिनी

जीवनसंगिनी

By Akanksha JainOctober 12, 2020

कौन हो तुमनीले आसमान मेंगुलाबी शफ़क़ सीगुलाब की पंखुरी परठहरे बारिश की बूंद सीसरगोशी करतीचंचल हवाओं सीअभी अभी जोचलना सीखा हैंउस मासूम बच्चे कीमुस्कान सीतुलसी वृन्दावनपर जल रहे दीये सीझगड़ने

कोविड काल

कोविड काल

By Shivani RathoreOctober 10, 2020

वीरान हर सड़क हैआरक्षी यहा कड़क है कोरोना का रोना हैघर पर ही रहना है जीवन से कर प्रेम हैवरना खाली फ्रेम है जो देश पे छाया हैवो मौत का

नेति नेति

नेति नेति

By Ayushi JainOctober 7, 2020

मैं आसमान कोघूर रहा था ,आसमान मुझे । दो चार पक्षीइधर से उधरउड़ते चले गए । बदलो के टुकड़ेन जाने क्योंसूरज को छुपा देनाचाहते है । सत्य कही छुपता हैइस

मत्स्य न्याय

मत्स्य न्याय

By Shivani RathoreOctober 6, 2020

कमसिन भेड़ो का गोश्तचाव से खा रहे है भेड़िए आजकल रोज बेख़ौफ़दावतें उड़ा रहे है भेड़िए डर लगे भी उन्हें तो किसकारखवाला दोस्त बना रहे है भेड़िए भेड़ें किस पर