जीवनसंगिनी

Author Picture
By Akanksha JainPublished On: October 12, 2020

कौन हो तुम
नीले आसमान में
गुलाबी शफ़क़ सी
गुलाब की पंखुरी पर
ठहरे बारिश की बूंद सी
सरगोशी करती
चंचल हवाओं सी
अभी अभी जो
चलना सीखा हैं
उस मासूम बच्चे की
मुस्कान सी
तुलसी वृन्दावन
पर जल रहे दीये सी
झगड़ने के बाद
दो ऊँगली एक दूजे की
छूते अल्हड़ लड़कियों की
पवित्र निगाहों सी
बगीचे में सुबह सुबह
चहल कदमी करते
दादा ,पोती के
झगड़े सी
बिदा ले रही दुल्हन
के आँसुओ सी
भोर में महकते
हरसिंगार सी
रात में
रजनीगंधा सी
मंदिर में हो रही
अर्चना सी
स्वाति नक्षत्र में
वर्षा की पहली बून्द सी
शरद की कुनकुनी
धूप सी
मेरे जिस्म
में चल रही जो सांस हैं
वही हो तुम
वही हो तुम
ईश्वर के
अनमोल
उपहार सी

धैर्यशील येवले, इंदौर.