साहित्य
‘कोरोनाकाल एवं साहित्यग्राम’ पुस्तक का हुआ विमोचन
इंदौर। कोरोना संक्रमण काल के दौरान लगे लॉक डाउन में मातृभाषा.कॉम से जुड़े रचनाकारों द्वारा किए उत्कृष्ट सृजन को संस्मय प्रकाशन द्वारा पुस्तकबद्ध किया गया, इस पुस्तक का विमोचन साहित्य
ये सब मैकाले की करतूत है..
साँच कहै ता/जयराम शुक्ल ये ससुरे मैकाले ने हमारी शिक्षा व्यवस्था का बेडा गर्क कर दिया वरना अपन कबके विश्वगुरु हो गए होते…जब भारत में प्राथमिक शिक्षा के स्तर के
पिता पुत्री संवाद
डर नही लगता मुझेअंधेरे सेना डरती हूँ मैंभालू या शेर से ,फिर क्यो मुझेरोकते होटोकते होमैं उड़ना चाहती हूँखुले आसमान मेंअपने पंख पसार ,मुझे अच्छा लगता हैभटकना तितली सा ,मैं
शिखंडी…
धिक्कार है मुझ परधिक्कार है मेरे होने परशर्मसार हूँ मैं ,पुरुष होने पर । वहशी ,दरिंदा ,नरपिशाचदो क्षण में हो जाता हूँ ,भाई ,बेटा ,पितानही हो पातातुझे विपत्ति में होने
सुनो मेरी बिटिया
तुम छूना चाहती होसूरज को , जरूर छुओपर अपने पंखबचाये रखना ।मेरी हर नसीहत कोराह का रोड़ा समझती होनही दूंगा आज सेपर अपना विवेकहर पल जगाए रखना । जो दिखता
सुंदर हो तुम
यूंही कह दो ना आज, कि सुंदर हो तुम। उलझी हुई सी भागती दौड़ती भी, पसंद हो मुझे। हर वक़्त सजी संवरी गुड़िया सी मत बनो। खोल दो जुल्फों को
इंदौर का साहित्यिक परिदृश्य एक
इंदौर : 70 के दशक में इंदौर का साहित्यिक परिदृश्य एक अलग मायने रखता था देश के जाने माने साहित्यकार हरि कृष्ण प्रेमी से लेकर डॉ गणेश दत्त त्रिपाठी श्यामसुंदर
कविता: प्रेम
प्रेम में पड़कर मसरूफ़ सा है, प्रेमी इसमें कुछ रूह सा है प्रेम कभी जताता नहीं, अफ़सोस करना सीखाता नहीं। प्रेम के किस्से कई हैं, बातें कई , कितने ही
एकाकी परिवार
लेखक : कमलगुप्ता “विश्वबंधु “ जीव अकेला आया है अकेला ही जायेगा। आत्मा सर्वथा निर्लिप्त है। संसार के सभी बन्धन मिथ्या है। माता-पिता जीव के प्रादुर्भाव के निमित्त है। ईश्वर
संयुक्त परिवार
लेखक : कमलगुप्ता “विश्वबंधु” बाबर जब हिन्दुस्तान में प्रवेश कर ही रहा था कि उसने एक पहाड़ी गांव में जगह जगह से धुआं उठते देख स्थानिय लोगों से पूछा ये
बूंदों की सवारी
सुनो बच्चों, चलो आओ…मैं, तुम्हें बारिश की बूंदों से मिलवाता हूं, कुछ ठंडी, कुछ चुटीली सी, बूंदे जो न केवल हमें, बल्कि समूचे जगत में नवजीवन और प्राण फूंकती है
आखिर कब तक
कविता आखिर कब तक गिद्धों से मैं अपना वर्चस्व बचाऊंगी, आखिर कब तक सीता की तरह अग्नि परीक्षा देती जाऊंगी। क्या इतने युगों के तप मेरे, अकारण ही सब व्यर्थ
दुनिया में हिंदी के 100 बड़े रचनाकारों में इंदौर के शरद पगारे शामिल
इंदौर। बहुत प्रसन्नता का विषय है कि हिंदी के विश्व में 100 बड़े रचनाकारों में इंदौर के शरद पगारे को स्थान मिला है। विश्व में वर्तमान में हिंदी के 100
शिक्षक दिवस पर इंदौर की शिक्षिका की ये बेहतरीन कविता
करिश्मा बोराना (शिक्षिका) निराशा में आशा के फूल खिलाए, अंधेरों में रोशनी के दीए जलाए, कभी प्यार तो कभी डांट से हमेशा सही राह बताए, सच में झूठ की पहचान
मिलेगी सजा कभी न बोलने की भी!
श्रवण गर्ग है सबसे आसान काम रह जाना चुप होकर उससे भी है आसान हो जाना चुप पूरी तरह देख लेना ! भूल ही जाएँगे सब किसी दिन ! होता
सुशांत के पिता ने रिया के खिलाफ दर्ज करवाया केस, बयान में कहा – मेरे बेटे को दी थी बर्बाद करने की धमकी
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मिस्ट्री में एक नया मोड़ आ गया है। दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में सुशांत के पिता ने उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर सनसनीखेज आरोप
रोजी, रोटी जिन्दा रहने की जरुरत हैं
अनिल त्रिवेदी सब लोग एक समान आर्थिक परिस्थिति के नहीं होते हैं।आज की हमारी दुनिया में अति सम्पन्न से लेकर ,अति विपन्न आर्थिक परिस्थिति के लोग , अपना अपना जीवन
कठ पुतली का खेल?
शशिकान्त गुप्ते का व्यंग्य कठ पुतलियों के खेल की शुरुआत राजस्थान से हुई है।काठ की पुतलियों को डोर से बांध कर नचाया जाता है। पूर्व में शहरों के गलियों में
शरद पवार: राम मंदिर पर सही सवाल या सत्ता बचाने नई चाल ?
अजय बोकिल अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास के कुछ घंटों पहले देश के बुजुर्ग नेता शरद पवार ने यह बयान देकर मोदी सरकार पर तीखा हमला किया कि कुछ लोग
बुझे चूल्हे, बस्तियां और औरतें
अंगारे थे अभी भी ढेर सारे बाक़ी अभागी हथेलियों पर धधकते हुए पता ही नहीं चला और बंट भी गए सारे के ही सारे चूल्हे आपस में ! बांट ली