राजेश राठौर
इंदौर : कमलनाथ से नाराज होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की तैयारी में थे अरुण यादव, लेकिन भाजपा ने उनको टिकट देने और भाई को मंत्री बनाने से इनकार कर दिया। एक हफ्ते पहले से यादव की भाजपा हाईकमान से बात चल रही थी। अरुण यादव चाहते थे कि भाजपा उनको टिकट दे। इसके साथ ही उनके भाई सचिन यादव को मंत्री जैसा पद दिया जाए। ये दोनों ही मामले तय नहीं हो पाए। उसके बाद अरुण यादव ने पैंतरा बदला और चुनाव नहीं लडऩे की बात कह दी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब तीन दिन पहले दिग्विजयसिंह टिकट की बधाई दे चुके थे, ऐसे में यादव को फिर क्या तकलीफ थी।
सूत्रों का कहना है कि अरुण यादव से भाजपा नेता मिल रहे थे, लेकिन यादव ने मना कर दिया। हालांकि यादव जानते थे कि लोकसभा चुनाव लड़े, तो हार तय है। यादव ने दिग्विजयसिंह और कमलनाथ से ये भी कहा था कि चुनाव में पैसा काफी लगेगा, मेरे पास इतना पैसा नहीं है, तो कमलनाथ ने यादव से कह दिया था कि हम मदद करेंगे। यादव ने चुनाव न लडऩे का कहा तो दिग्विजयसिंह बोले कि अरुण ही चुनाव लड़ेगा। दिग्विजयसिंह को यादव पर काफी भरोसा था। हालांकि खंडवा से जिस राजनारायणसिंह को लोकसभा टिकट दिया है, वो भी दिग्विजयसिंह के ही साथी हैं।