सावन का पावन महीना भगवान शिव की भक्ति का सर्वोच्च समय माना जाता है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं, गंगा जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं. लेकिन क्या हो अगर आप किसी कारणवश कांवड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं? क्या आप शिव जी की कृपा से वंचित रह जाएंगे? यदि आप कांवड़ नहीं ला पा रहे, तो भी कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन कर आप घर पर ही जलाभिषेक कर सकते हैं और शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
क्यों खास होता है सावन में जलाभिषेक?
मान्यता है कि सावन में भगवान शिव स्वयं धरती पर निवास करते हैं. इस दौरान जल चढ़ाने से पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कुंडली के दोष भी शांत होते हैं.
नहीं कर पा रहे कांवड़ यात्रा, तो ऐसे करें शिव पूजन
1. शुद्ध जल या गंगाजल का प्रयोग करें
यदि गंगाजल उपलब्ध नहीं है तो शुद्ध तांबे के लोटे में पानी लेकर उसमें कुछ तुलसी या बेलपत्र डालें और वही जल शिवलिंग पर चढ़ाएं.
2. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करें अभिषेक
प्रातः 4 बजे से 6 बजे के बीच का समय सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए जल चढ़ाएं.
3. इन चीजों के साथ करें अभिषेक
शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, भस्म, काले तिल. इन सभी को मिलाकर पंचामृत बनाएं और शिवलिंग पर अर्पित करें.
4. मन से करें प्रार्थना
पूजन करते समय भोलेनाथ से श्रद्धा और प्रेम से मन की बात कहें, कांवड़ यात्रा में जो भाव होता है, वही भाव घर पर पूजन करते समय होना चाहिए.
5. सोमवार का व्रत रखें
सावन के सोमवार को व्रत रखकर शिव पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. दिनभर उपवास रखें और शाम को फलाहार करके शिव चालीसा पढ़ें.
कौन-सा मंत्र बोलें जल चढ़ाते समय?
. “ॐ नमः शिवाय”
. “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए धीरे-धीरे शिवलिंग पर जल अर्पित करें.
ये 3 बातें कभी न भूलें
जल चढ़ाते समय पीठ शिवलिंग की ओर न करें, नंगे पैर शिवालय जाएं, लोहे या स्टील के बर्तन में जल न रखें – तांबे या मिट्टी का बर्तन सर्वोत्तम है.