इंदौर में एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत, चाय दुकान संचालकों को अब डिस्पोजल कप में चाय बेचने की अनुमति नहीं होगी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने दुकानदारों को इस निर्णय का पालन करने के लिए तीन दिनों का अल्टीमेटम दिया है। आदेश के अनुसार, सभी डिस्पोजल कपों को तत्काल प्रभाव से दुकानों से हटा लिया जाना चाहिए। यदि दुकानदार इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम नागरिकों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
स्वास्थ्य पर असर
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. निधि बुखारिया के अनुसार, डिस्पोजल कपों की प्लास्टिक कोटिंग गर्म तरल पदार्थों के संपर्क में आने पर घुल सकती है। यह प्लास्टिक कोटिंग शरीर में प्रवेश कर सकती है और गंभीर बीमारियों, जैसे कैंसर, का कारण बन सकती है। इंदौर में कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, महापौर का यह निर्णय स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण पर प्रभाव
डिस्पोजल कपों के उपयोग पर प्रतिबंध केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा। इन कपों का पुनः उपयोग संभव नहीं होता और ये प्लास्टिक कचरे के रूप में पर्यावरण में जमा हो जाते हैं, जिससे मृदा और जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। यह निर्णय डिस्पोजल कचरे की मात्रा को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है, जो पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा।
दुकानदारों की चुनौती
अब दुकानदारों के सामने एक बड़ी चुनौती है। उन्हें तीन दिनों के भीतर पर्यावरण-मित्र विकल्प खोजने होंगे, ताकि उनके व्यवसाय में कोई रुकावट न आए। हालांकि, शहर के कई जागरूक दुकानदार पहले से ही डिस्पोजल कपों का उपयोग कम करने की दिशा में कदम उठा चुके हैं। कई जगहों पर स्टील या कांच के कपों का उपयोग शुरू किया गया है, जिन्हें बार-बार धोकर पुनः इस्तेमाल किया जा सकता है।
महापौर का संदेश
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सभी चाय दुकानदारों से अपील की है कि वे इस निर्णय का पालन करें और जल्द ही सुरक्षित और स्वच्छ विकल्प उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा, “यह कदम जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। हमें उम्मीद है कि दुकानदार इस फैसले का सम्मान करेंगे और अपने ग्राहकों को बेहतर विकल्प प्रदान करेंगे।”
नागरिकों की प्रतिक्रिया
इंदौर के नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे शहर को साफ और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा है। यह निर्णय शहर के स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।