Chaturmas 2023: इस दिन होगा चातुर्मास का अंत, योग निद्रा से जागेंगे भगवान श्रीहरि विष्णु, हटेगी शुभ मांगलिक कार्यों पर लगी रोक

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By Simran VaidyaPublished On: November 17, 2023

Chaturmas 2023: हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव उठनी या फिर प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के रूप के भी जाना जाता है। जहां कुछ जगहों पर इसे डिठवन एकादशी के नाम से भी संबोधित किया जाता हैं। साथ ही ऐसा माना जाता है कि देवशयनी ग्यारस तिथि के दिन ही श्री हरि नारायण अपनी योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने पश्चात इस दिन यानी देवी उठनी एकादशी के दिन अपनी आंखें खोली हैं। यह पर्व प्रभु श्री हरि नारायण के जागने के मौके पर मनाया जाता हैं। यह दिन इंसान में देवत्व को जगाने का संदेश देता है।


क्यों रखा जाता है ये देवउठनी एकादशी का व्रत

दरअसल हिंदू धार्मिक मान्यताओं में ऐसा कहा गया है कि इस उपवास को करने से इंसान का धर्म के प्रति और भौतिक विकास होता है तथा जिंदगी के संपन्न होने के बाद मोक्ष मिलता है। गरुड़ पुराण में ऐसा भी लिखा हुआ है कि इस उपवास को करने वाला वैकुंठ लोक का उत्तराधिकारी हो जाता है, पद्म पुराण में इस उपवास की अपेक्षा नाव से करते हुए कहा गया है जिस तरह नाव नदी के पार पहुंचाती है उसी तरह इस व्रत को करने वाला मनुष्य जन्म मरण के बंधनों से मुक्त होकर भवसागर को पार कर जाता है। इस बार यह तिथि 23 नवंबर को होगी.

चार माह से रुके हुए मांगलिक कार्य हो जाएंगे शुरू

इस दिन जगतपुरा जगत 6।जगदीश्वर भगवान के योग पर जाते ही शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हटा दी जाती है इस दिन कोई भी श्री विष्णु आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारस को देवशयनी या योग निद्रा एकादशी भी कहा जाता है, इस दिन किए जाने वाले कार्यों के चलते ही मार्केट में बहुत ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी। वहीं शुभ कार्यों पर हटे प्रतिबंध के कारण ही बैंड बाजा आदि के शुभ कार्यक्रम देखने को मिलने वाले हैं, तकरीबन चार महीनों के लंबे अंतराल के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि को भगवान के योगनिद्रा से बाहर आते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। यहां शादी ब्याह के लिए भगवान विष्णु का जागना अत्यंत ही आवश्यक होता है।

इस तरह किया जाता है एकादशी पर पूजन

एकादशी वाले दिन फलाहारी महिलाएं स्नान आदि से निपटकर घर आंगन में चौक पूजा कर प्रभु विष्णु के चरणों को पूज कर उन्हें बाहर अंकित करती हैं। उनके श्री चरणों में कई प्रकार के फल और सब्जी गन्ने का प्रसाद रखा जाता है। दिन की तीव्र धूप में नारायण भगवान जी के चरणों को ढांक दिया जाता है। रात को पूरे विधि विधान के बाद प्रातः काल श्री नारायण को शंख घंटा घड़ियाल आदि बजाकर उठाया जाता है।