सीधी में कल बस हादसा हुआ था जिसमें कई लोगों की जान चले गई। वहीं अब इस हादसे के बाद केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जहां केंद्र और राज्य सरकारें डिजिटल इंडिया का दावा करते हुए नहीं थकती वहीँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कुछ वर्ष पहले मध्यप्रदेश की सड़कों की तुलना वॉशिंगटन से कर दी थी। लेकिन यहां की सड़कों की हालात देख ले तो इंसान दंग रह जाए।
दरअसल, रीवा-सीधी और सीधी-सिंगरौली हाईवे की असलियत ये है कि वर्षों बाद भी सड़क की हालत जर्जर है। देखने को एनएच 39 को बनाने की जिम्मेदारी दिलीप बिल्डिकॉन समेत दूसरी कंपनियों को दिया गया, लेकिन निर्माण आज तक अधूरा है। आजादी के 74 साल बाद भी मुख्य मार्ग अधूरे हैं। इस अधूरे मार्ग का भी टोल टैक्स वसूला जा रहा है। इस बात का खुलासा उस बात से हुआ है जब मंगलवार को सीधी से बघवार के रास्ते सरदा, पटना, हिनौता के रास्ते सतना जा रही बस बाणसागर की नहर में जल समाधि ले ली थी।
इन कंपनियों को दिया गया था हाइवे का काम –
पहले एनएच 75 और अब एनएच 39 नेशनल हाईवे का काम दिलीप बिल्डिकॉन समेत नामी कंपनियों को दिया गया। किसी ने भी समय पर काम पूरा नहीं किया। रसूख की दम पर एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन लेते रहे। वहीं, दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी मामले में लीपापोती करते रहे। नतीजा, हादसे दर हादसे होते रहे, लेकिन जिम्मेदारों ने अमल नहीं किया। मंगलवार को जब बस हादसा हुआ, तो दावों की पोल खुल गई।