माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस दिन अपने संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु का कामना के सकट चौथ का निर्जला व्रत रखा जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि गणेश चौथ पर भगवान गणेश की जन्म हुआ था। संकष्टी गणेश चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या माघी चौथ भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में स्त्रियों के ऐसे अनेक व्रत और त्योहार होते हैं, जिनमें दिनभर उपवास के बाद रात्रि में जब चंद्रमा उदय हो जाता है, तब चंद्रदेव को अर्घ्य देकर और पूजा करके ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य व दीर्घायु होने की मंगल कामना से करती हैं। आइए जानते हैं सकट चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और आज शाम को आपके शहर में चांद निकलने का समय
माघ माकृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू – 10 जनवरी 2023, दोपहर 12.09
माघ माकृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त – 11 जनवरी 2023, दोपहर 2.31
चंद्रोदय समय – रात 8 बजकर 50 मिनट (10 जनवरी 2023)
शाम को पूजा का मुहूर्त – शाम 05:49 – शाम 06:16
तिलकुट चौथ पूजा विधि
तिलकुट चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले पानी में तिल डालकर स्नान करें. इसके बाद पूजा का संकल्प लें और शाम के समय चंद्रोदय से पूर्व पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें.
अब गणपति जी को 21 दूर्वा, रोली, कुमकुम, अबीर, गुलाल, फूल, मोदक अर्पित करें. इस दिन खासतौर पर तिल से बने 11 या 21 लड्डू का गजानन को भोग लगाएं. ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. व्रत करने वाले व्यक्ति को शाम को चंद्र दर्शन करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए.
चौथ पर ने करे ये काम
काला वस्त्र न पहने
हिंदू धर्म में काला रंग अशुभ माना जाता है। किसी भी तरह का शुभ कार्य या धार्मिक अनुष्ठान करते समय काले रंग के कपड़े पहनना वर्जित माना जाता है। ऐसे में सकट व्रत करते समय महिलाएं भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें। इस दौरान माताएं पीले या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ रहेगा।
अर्घ्य देते हुए ये बात रखें ध्यान
सकट चौथ व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। ऐसे में जब भी आप चंद्रमा को अर्घ्य दें तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि अर्घ्य के दौरान आपके पैरों में जल के छींटे न पड़ें।
बिना चांद को अर्घ्य दिए न करें व्रत का पारण
सकट चौथ व्रत तभी पूरा होता है जब गणेश जी की पूजा करने के बाद चांद के दर्शन करते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाए। बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में भूलकर भी बिना चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए व्रत नहीं खोलना चाहिए।