नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। जिसके चलते विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस साल कुछ घटनाएं बहुत चिंतित करने वाली है। विदेश मंत्री ने रविवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात महीने से चल रहे सीमा गतिरोध में भारत के धैर्य की परीक्षा हो रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती के लिए उठ कर खड़ा होगा।
वही विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या गतिरोध खत्म होगा या और चलेगा तो उन्होंने कहा कि, “मैं इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं करूंगा। LAC पर जो भी कुछ हुआ वह किसी भी तरीके से चीन के हित में नहीं है। इस गतिरोध से लोगों की भावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है। भारत LAC का सम्मान करता है।”
उन्होंने कहा कि, इस गतिरोध का दोनों देशों के रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। नियंत्रण रेखा का सम्मान हो. वहां की गतिविधियों पर नजर रखा जा सके, इसीलिए हम वहां मौजूद हैं।
बता दें कि, कुछ ही दिनों पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि, चीन की तैनाती से दोनों देशों के संबंधों और समझौतों को गंभीर नुकासान हुआ है। बीते 30-40 सालों में यह सबसे मुश्किल दौर है। उन्होंने कहा था कि, ”हमारी परीक्षा ली जा रही है, मुझे विश्वास है कि हम इस कठिन परिस्थिति से सफलतापूर्वक निपटेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का सामना करेंगे।”
वही जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लॉवी इंस्टीट्यूट के ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा था कि, चीन ने LAC पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के लिए पांच विरोधाभासी कारण बताए हैं। सीमा पर अशांति है, जिसके कारण बाकी क्षेत्रों में संबंध आगे नहीं बढ़ सकते हैं। शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, पिछले छह महीने में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चीन की कार्रवाइयों का परिणाम है क्योंकि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को ”एकतरफा ढंग से बदलने” की कोशिश की है। यह बात तब कही जब उनसे चीनी विदेश मंत्रालय की ताजा टिप्पणियों के बारे में पूछा गया जिनमें उसने पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
साथ ही श्रीवास्तव ने कहा कि, ”हमारा रुख बहुत ही स्पष्ट रहा है, जिसे अतीत में कई बार बयां किया गया है। पिछले छह महीने से हम जो हालात देख रहे हैं, वह चीनी पक्ष की कार्रवाइयों का परिणाम है जिसने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव करने की कोशिश की है।”