भारत की अनमोल निधि आयुर्वेद (Ayurveda) शास्त्र में असंख्य जड़ी-बूटियों का समावेश है। इन जड़ी-बूटियों के किसी विशेषज्ञ के परामर्श पर सेवन से बड़ी से बड़ी शारीरिक व्याधा को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही मानव शरीर को श्रेष्ठता के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने हेतु वांछनीय गुण इन औषधियों में उपलब्ध हैं। ऐसी ही एक औषधि है अश्वगंधा (Ashwagandha), जिसे आयुर्वेद के अंतर्गत बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। अश्वगंधा अपने औषधीय गुणों के कारण कई रोगों से लड़ने में सहायक है और शरीर और मन को पुष्टता प्रदान करने वाला है।
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अश्वगंधा के सेवन से होने वाले फायदे
अश्वगंधा के सेवन से कई बिमारियों में लाभ मिलता है। अश्वगंधा जहाँ ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, वहीं कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने में भी अश्वगंधा का निर्देशित मात्रा में सेवन सहायक ही सिध्द हुआ है। इसके साथ ही अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी नियंत्रित करने का कार्य करता है। इसके साथ ही इसके सेवन से रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और शरीर और मन पुष्ट होता है। डिप्रेशन और एंग्जायटी को दूर करने में भी अश्वगंधा विशेष सहायक है। इसके साथ ही इसके संयमित सेवन से पुरूषों में प्रजनन क्षमता का भी विकास होता है।
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अश्वगंधा सेवन के लिए निर्देशित सावधानियां
अश्वगंधा एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि है इस बात में कोई दो राय नहीं है, परन्तु इसके साथ ही कुछ विशेष सावधानियाँ इसके सेवन को लेकर निर्देशित की गई हैं। सबसे पहले तो इसका सेवन किसी विशेषज्ञ की राय पर ही किया जाना बेहतर है, क्योंकिं इसका सेवन एक संयमित मात्रा में किया जाना आवश्यक है, जोकि की किसी विशेषज्ञ के द्वारा ही व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को देखकर ही निर्देशित किया जा सकता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से पूरी तरह से बचना चाहिए। विशेषज्ञ की राय पर इसे चूर्ण और केप्सूल के साथ ही सिरप के रूप में भी लिया जा सकता है।