निरुक्त भार्गव
भाजपा ने 22 जून 2022 को उज्जैन नगर निगम के चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के समर्थन में बिगुल फूंक दिया. मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के मुखिया विष्णुदत्त शर्मा ने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बाकायदा महाकाल बाबा के आंगन में शीश नवाया. इसके बाद संपर्क एवं संबोधन के माध्यम से उन्होंने आम लोगों को पार्टी को सहयोग देने के लिए प्रेरित किया. इस तरह की कवायद मुख्यमंत्री जी और भाजपा हमेशा से करती आई है, पर इस बार जो बात लोगों की जुबान से मुखरित होती हुई सामने आई है वो है ‘अभिमान’!
जनचर्चा है कि राज्य में लगातार 18 साल (कांग्रेस के कमल नाथ सरकार के चुनिंदा माह की सरकार को छोड़कर) सत्ता में रहने, पिछले 8 वर्षों के दौरान केंद्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ शासन करने का सुख और इसके साथ-साथ सबसे अहम् ये कि नगरीय निकायों में भी अबाधित राज करने के कारण भाजपा में वो सब विषाणु आ चुके हैं जो उसकी परम्परागत पृष्भूमि को धूमिल कर रहे हैं!
चुनावी माहौल में भाजपा का शोर भी बढ़ रहा है और इसीकी बानगी देखने को मिली शहीद पार्क पर, जहां जन-आशीर्वाद सभा का महती आयोजन किया गया था. एक बड़ा भारी “डोम” (सुरक्षित ठिकाना) बनाया गया था, ताकि मंचासीन लोगों को पानी की बूंदें छू भी ना सकें! मंच के समक्ष एक बड़ा घेरा (‘डी’ आकार का) भी बनाया गया था, ताकि कोई भी सुरक्षा व्यवस्था को भेद ना सके! सामने खुले में कोई 300-500 लाल रंग की प्लास्टिक की कुर्सियां रखी गई थीं, ताकि सब-कुछ भरा-भरा लगे!
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प्रचार-प्रसार की बेला भले ही कितनी-ही अंगड़ेलियां ले रही हों, प्रेक्षकों की तीक्ष्ण निगाहों से बचना संभव नहीं है! सो, सभा-स्थल की हकीकत ये थी कि मंच पर विराजमान 500 से ज्यादा “उंचे” लोग तो हर व्यवस्था का लुत्फ़ उठा रहे थे और उज्जैन की कोई 2000 की उपस्थित जनता तन-मन से भीगने के लिए अभिशप्त थी! इन उपस्थित श्रोताओं में छोटे-छोटे बच्चों, सराय से भाड़े पर लाए गए मजदूरों सहित महत्वाकांशी भाजपा कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक थी!
पूरे आयोजन का ये एक नकारात्मक पहलू था कि एक ‘श्वान जी’ तो आरम्भ से अंत तक सुरक्षा घेरे को चीरकर दुलत्ती चलाते रहे और प्रथम पंक्ति के ऊंचे लोग जी-भरकर इन हरकतों का आनंद लेते रहे, पर उज्जैन के सक्रिय और वास्तविक फोटोग्राफर एवं कैमरापर्सन कवरेज करने से बलात रोके जाते रहे! तो मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे और लगातार शब्द-बाण चला रहे थे! दिग्विजय सिंह के 10 साल के कार्यकाल (1994-2003) के कथित बंटाढार के किस्से सुना रहे थे! अपनी सरकार के कार्यकाल का जमकर गुणगान कर रहे थे!
उज्जैन की जनता को चेता रहे थे कि ऐसी गलती मत कर बैठना कि ‘विध्वंसक’ कांग्रेसी नगर सरकार में आ जाएं! वे बहुत तफसील से गिना रहे थे कि भाजपा का बोर्ड कायम रहा तो क्या-क्या फायदे हो सकते हैं! शिवराज जी तो यहां तक कह गए कि उज्जैन में चिकित्सा उपकरण बनाने के उद्योगों (मेडिकल डिवाइसेस पार्क) में 40 हजार करोड़ का निवेश होने जा रहा है और इसके बलबूते एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा!
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कहने की जरूरत नहीं कि सभी लोगों को देखने-दिखाने/ मिलने-मिलाने जैसे सब्जबागों का परीक्षण अवश्य करना चाहिए! इतना तो सही है कि ये स्थानीय चुनाव राग-द्वेष को बढ़ावा देते हैं और वास्तविक नेतृत्व को उभरने से रोकते हैं! लेकिन, अगले 10-15 दिनों में गुण-दोष के आधार पर सही प्रतिनिधियों का चयन करना अनिवार्य है! जनहित और विकास के कार्य हर स्थान पर होते ही आए हैं, किन्तु आम व्यक्ति के तमाम सरोकारों से जुड़े प्रश्न सबसे ज्यादा महत्त्व रखते हैं! दरकार इस बात की है कि हमारे भावी प्रतिनिधि एक ‘जवाबदेह’ व्यवस्था के लिए काम करें, ना कि इनके और उनके कहने से क्योंकि ये एक विशुद्ध स्थानीय चुनाव है.