आज रविवार, कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि है। आज रोहिणी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज करवा चतुर्थी है।
-चन्द्रोदय रात्रि 8:34 बजे होगा।
-आज कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को दशरथ जी का पूजन करें और उनके समीप में दुर्गाजी का पूजन करें तो सब प्रकार के सुख उपलब्ध होते हैं। (संवत्सर प्रदीप)
-करवा चतुर्थी व्रत के दिन स्त्रियां गणेश जी, शिव – पार्वती, स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा करती हैं और रात्रि में चन्द्र देव को अर्घ्य अर्पित करतीं हैं।
-करवा चतुर्थी व्रत की कथा शिवजी ने पार्वती जी को सुनाई थी-
कथा: इन्द्रप्रस्थ नगरी में वेदशर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरावती था। उसका विवाह सुदर्शन नामक ब्राह्मण के साथ हुआ था। ब्राह्मण के सभी पुत्र विवाहित थे। एक बार करवा चतुर्थी व्रत के समय वीरावती की भाभियों ने तो पूर्ण विधि से व्रत किया, किन्तु वीरावती सारा दिन निर्जल रहकर भूख न सह सकी तथा निढाल होकर बैठ गई। भाइयों की चिन्ता पर भाभियों ने बताया कि वीरावती भूख से पीड़ित है।
करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रमा देखकर ही खोलेगी। यह सुनकर भाइयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई और ऊपर कपड़ा तानकर चन्द्रमा जैसा दृश्य बना दिया, फिर बहन से जाकर कहा कि चॉंद निकल आया है, अर्घ्य दे दो। यह सुनकर वीरावती ने अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। नकली चन्द्रमा को अर्घ्य देने से उसका व्रत खण्डित हो गया तथा उसका पति अचानक बीमार हो गया। वह ठीक ना हो सका। एक बार इन्द्र की पत्नी शची करवा चतुर्थी व्रत करने पृथ्वी पर आई।
इसका पता लगने पर वीरावती ने जाकर देवी शची से प्रार्थना की कि उसके पति के ठीक होने का उपाय बताएं। शची देवी ने कहा कि तेरे पति की यह दशा तेरी ओर से रखे गए करवा चतुर्थी व्रत खण्डित हो जाने के कारण हुई है। यदि तू करवा चतुर्थी का व्रत पूर्ण विधि विधान से बिना खण्डित किए करेगी तो तेरा पति ठीक हो जाएगा। वीरावती ने करवा चतुर्थी व्रत पूर्ण विधि से सम्पन्न किया, फल स्वरुप उसका पति पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो गया। तभी से करवा चतुर्थी व्रत प्रचलित हो गया।
-उक्त कथा सुनने के साथ ही गणेश जी की कोई भी एक कहानी और सुनना चाहिए।
अनिल यादव