भारत में तुलसी को केवल एक पवित्र पौधा नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी का प्रतीक और ऊर्जा संतुलन का सशक्त स्रोत माना जाता है। हाल के वर्षों में लोग केवल तुलसी के पत्तों की नहीं, बल्कि इसकी जड़ की भी गहरी आध्यात्मिक और ऊर्जा संतुलन में भूमिका को समझने लगे हैं।
विशेष रूप से मुख्य दरवाजे पर तुलसी की जड़ बांधने की परंपरा अब एक धार्मिक रिवाज से आगे बढ़कर घर को नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा देने वाला शक्तिशाली उपाय बन गई है। यह परंपरा ऊर्जा विज्ञान, वास्तु शास्त्र और मनोविज्ञान का अद्भुत संगम बनकर उभरी है।

तुलसी की जड़ से बदल सकती है घर की किस्मत
वास्तु और ज्योतिष के अनुसार, तुलसी की जड़ में ऐसी सूक्ष्म ऊर्जाएं होती हैं, जो घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर, तंत्र-मंत्र और दृष्टिदोष को प्रभावहीन बना देती हैं। पुराने ऋषि-मुनियों और वैद्यों की मान्यता रही है कि तुलसी की जड़ जहां होती है, वहां वातावरण स्वतः शुद्ध और संतुलित बना रहता है। मुख्य द्वार पर इसे बांधने से यह जड़ न केवल घर की रक्षा करती है, बल्कि वहां प्रवेश करने वाली ऊर्जा को छानकर शुद्ध कर देती है।
यदि किसी घर में लगातार बीमारियां हो रही हों, क्लेश बढ़ते जा रहे हों या मानसिक अशांति बनी रहती हो, तो तुलसी की जड़ बांधना एक प्रभावशाली उपाय माना जाता है। यह मन और वातावरण दोनों को संतुलित करती है। यह नकारात्मक भावनाओं, जैसे क्रोध, तनाव और भय को नियंत्रित कर घर में एक शांतिपूर्ण माहौल बनाने में सहायक होती है।
वास्तु शास्त्र में तुलसी की जड़ का अद्भुत महत्व
वास्तु शास्त्र तुलसी को एक ऊर्जा स्रोत मानता है, जो घर के पंचतत्वों को संतुलित करती है। जब इसकी जड़ को मुख्य दरवाजे पर, विशेष रूप से उत्तर-पूर्व दिशा में बांधा जाता है, तो यह घर की ऊर्जाओं को केंद्रित और संरक्षित करती है। इससे घर में प्रवेश करने वाली बुरी शक्तियां निष्क्रिय हो जाती हैं और घर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुचारु बना रहता है। कुछ विशेषज्ञ इसे ‘ऊर्जा केंद्रों’ के संतुलन का माध्यम भी मानते हैं, जिससे पूरे घर का मानसिक और भौतिक वातावरण सुधरता है।
धन, सुख और समृद्धि का मार्ग खोलने वाला उपाय
तुलसी की जड़ को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का भी एक माध्यम माना गया है। धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिषीय उपायों में बताया गया है कि यह उपाय विशेष रूप से उन घरों में कारगर होता है जहां काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं या धन की हानि बार-बार होती है। तुलसी की जड़ शनि और राहु जैसे ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने में सहायक होती है, जिससे गृह दोष भी कम होते हैं। इस कारण यह उपाय आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने में मदद करता है।
तुलसी की जड़ बांधने की विधि: कैसे करें सही प्रयोग
तुलसी की जड़ को ब्रह्ममुहूर्त में शुद्ध भाव से निकालना चाहिए या किसी धार्मिक स्थान से प्राप्त करें। इसे गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर सुखा लें और फिर लाल या पीले रंग के कपड़े में बांध लें। बांधने से पहले “ॐ तुलस्यै नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें। मुख्य द्वार के ऊपरी हिस्से या दाईं ओर इसे बांधें। यह उपाय हर 15 दिन या महीने में दोहराना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
ध्यान देने योग्य बातें
- तुलसी की जड़ को अपवित्र अवस्था में न छुएं, जैसे बिना स्नान किए या जूते पहनकर।
- मासिक धर्म के दौरान महिलाएं इससे दूरी बनाए रखें।
- जड़ को काटते समय श्रद्धा और संयम बनाए रखें, क्योंकि यह एक धार्मिक प्रक्रिया है।
- आध्यात्मिक लाभों के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण
तुलसी की जड़ में प्राकृतिक रोगाणुनाशक और फफूंदनाशक तत्व पाए जाते हैं, जो वातावरण में फैले हानिकारक बैक्टीरिया और रसायनों को समाप्त करने में सहायक होते हैं। इसकी प्राकृतिक सुगंध न सिर्फ मानसिक तनाव को दूर करती है, बल्कि मन को शांत और सकारात्मक विचारों से भर देती है। इसी वजह से यह उपाय धार्मिक आस्था के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पूरी तरह प्रभावी माना जाता है।
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